उच्चतम न्यायालय ने कामकाज में सुगमता, जल्द न्याय सुनिश्चित करने के लिए एसओपी जारी की

उच्चतम न्यायालय ने कामकाज में सुगमता, जल्द न्याय सुनिश्चित करने के लिए एसओपी जारी की

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  • Publish Date - December 30, 2025 / 04:20 PM IST,
    Updated On - December 30, 2025 / 04:20 PM IST

नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है, जिसमें उसके समक्ष पेश होने वाले वकीलों द्वारा दलीलों और लिखित निवेदन प्रस्तुत करने के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई है।

इस कदम का उद्देश्य न्यायालय के कामकाज में सुगमता और न्याय मुहैया कराने की व्यवस्था में तेजी लाना है।

प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों ने सोमवार को एक परिपत्र जारी किया, जिसमें सभी मामलों में मौखिक दलीलें प्रस्तुत करने की समयसीमा का पालन करने के लिए एसओपी तय की गई है।

तत्काल प्रभाव से लागू इस एसओपी में कहा गया है, ‘वरिष्ठ अधिवक्ता, दलील रखने वाले वकील और रिकॉर्ड पर मौजूद अधिवक्ता, नोटिस के बाद और नियमित सुनवाई वाले सभी मामलों में मौखिक बहस करने की समय-सीमा सुनवाई शुरू होने से कम से कम एक दिन पहले प्रस्तुत करेंगे। यह समय-सीमा न्यायालय को ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ (एओआर) को पहले से उपलब्ध कराए गए उपस्थिति पर्ची जमा करने के ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से प्रस्तुत की जाएगी।’

इसमें कहा गया है कि वरिष्ठ अधिवक्ताओं सहित बहस करने वाले वकील, अपने एओआर या पीठ द्वारा नामित नोडल वकील (यदि कोई हो) के माध्यम से, सुनवाई की तारीख से कम से कम तीन दिन पहले दूसरे पक्ष को एक प्रति देने के बाद संक्षिप्त नोट या लिखित प्रस्तुति दाखिल करेंगे, जो पांच पृष्ठ से अधिक का नहीं होगा।

शीर्ष अदालत के चार रजिस्ट्रार द्वारा हस्ताक्षरित परिपत्र में कहा गया है, ‘सभी वकील निर्धारित समय-सीमा का सख्ती से पालन करेंगे और अपनी मौखिक दलीलें पूरी करेंगे।’

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप