न्यायालय ने खनन माफिया, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न करने पर हरियाणा सरकार को लगाई फटकार

न्यायालय ने खनन माफिया, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न करने पर हरियाणा सरकार को लगाई फटकार

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  • Publish Date - May 29, 2025 / 09:54 PM IST,
    Updated On - May 29, 2025 / 09:54 PM IST

नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा सरकार को खनन माफिया और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए बृहस्पतिवार को कड़ी फटकार लगाई। इन अधिकारियों पर वन कानूनों का उल्लंघन करने और नूंह में अरावली से निकाले गए पत्थरों को अवैध रूप से राजस्थान ले जाए जाने में मदद करने का आरोप है।

प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले में हरियाणा के मुख्य सचिव द्वारा दायर हलफनामे की कड़ी आलोचना की।

पीठ खनन माफिया द्वारा अरावली की संरक्षित वन भूमि पर राज्य सरकार के अधिकारियों की मिलीभगत से 1.5 किलोमीटर लंबी अनाधिकृत सड़क के निर्माण से संबंधित याचिका पर विचार कर रही थी। इस आशय की एक रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति द्वारा प्रस्तुत की गई।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ हलफनामे (मुख्य सचिव के)के अवलोकन से यह पता नहीं चलता कि दोषी अधिकारियों और खनन माफिया के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है जो बेईमानी से पहाड़ियों को नष्ट कर रहे हैं।’’

पीठ ने कहा कि मुख्य सचिव वन विभाग के अधिकारियों और आरोपियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को स्पष्ट न करके उन पर दोष मढ़ रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मुख्य सचिव सरकार के कामकाज के लिए जिम्मेदार हैं और वह मनमानी रवैया नहीं अपना सकते।

उन्होंने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि माफिया न केवल अपने सदस्यों को बल्कि राज्य सरकार के उन अधिकारियों को भी बचाने के लिए काफी मजबूत है, जिन्होंने उनके साथ मिलीभगत करके काम किया है।’

पीठ ने कहा, ‘‘हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि मुख्य सचिव और नूंह के उप जिलाधिकारी ने पारिस्थितिकी और पर्यावरण से संबंधित मामलों में ढिलाई बरती है।’’

मामले में अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी।

भाषा शोभना माधव

माधव