‘तैरना’ बचपन का सपना था , 70 की उम्र में पार की सबसे लंबी नदी…

केरल के कोच्चि के एक छोटे से शहर अलुवा की आरिफा ने एक मिसाल कायम किया है। उनका कहना है कि सपनों को पूरा करने के लिए कोई उम्र नहीं होती।

  •  
  • Publish Date - July 4, 2022 / 03:02 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:56 PM IST

Periyar River: केरल। क्या सपनों को पूरा करने की कोई उम्र होती है? जब उम्र आपके काम में दखल न दे तो भी कह सकते हैं कि सपनों को किसी भी उम्र में पूरे किए जा सकते हैं। वहीं कुछ लोग उम्र बढ़ने के बाद जिंदगी में कुछ भी नया हासिल करने का ख्वाब नहीं देखते लेकिन उस उम्र में केरल के कोच्चि के एक छोटे से शहर अलुवा की आरिफा ने एक मिसाल कायम किया है। उनका कहना है कि सपनों को पूरा करने के लिए कोई उम्र नहीं होती।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां Click करें*<<

Read More: सबसे महंगे में बिका ‘कप्तान’, बकरे की कीमत जानेंगे तो रह जाएंगे हैरान… 

70 साल की आरिफा ने अपने बंधे हाथों से पेरियार के 780 मीटर हिस्से में तैर कर यह साबित कर दिया कि उनके लिए उम्र सिर्फ एक नंबर है। आरिफ़ा मुस्लिम परिवार से आती हैं। परिवार में पति और दो बेटे हैं। आरिफा ने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें बचपन से ही स्विमिंग का शौक रहा है। उन्होंने 15 साल की उम्र में तैरना भी सीख लिया था।

21 साल की उम्र में आरिफा ने तैरकर पेरियार को पार किया था। जिस इलाके में आरिफा रहती है। वहां हर साल बाढ़ आ जाती है, ऐसे कई लोग फंस जाते हैं जिन्हें तैरना नहीं आता, इसलिए उनके दो लड़के लोगों की मदद करते हैं, वे भी तैरना जानते हैं। इतने सालों के बाद जब 70 साल की आरिफा को इस उम्र में दूसरा मौका मिला तो उन्होंने इस मौके को जाने नहीं दिया।

Read More: नदी में नवजात को किया बहाने का प्रयास, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बचाई जान… 

Periyar River: आरिफा ने कहा, “मुझे एक प्लेटफॉर्म मिला लोगों को यह संदेश देने के लिए कि अगर मन में दृढ़ निश्चय हो तो आप किसी भी उम्र में कुछ भी हासिल कर सकते हैं।” आरिफा ने बताया जब वो तैराकी सीखने के लिए क्लब गईं तो उन्होंने देखा कि वहां छोटे-छोटे बच्चों को भी हाथ बांध कर सिखाते थे। मैंने सोचा कि कुछ नया प्रयोग करना चाहिए। मैंने हाथ बांधकर तैरने की कोशिश की और सफल रही। इसके बाद मैंने हाथ बांधे हुए ही तैरकर पेरियार पार करने का निर्णय लिया और अब उसमें भी सफल हो गई हूं।

Read More: ब्रेस्ट कैंसर में फायदेमंद हैं इस पेड़ के पत्ते, एक्ट्रेस छवि मित्तल ने भी किया था सेवन… 

आरिफा ने यह भी बताया कि, “मैं एक मुस्लिम परिवार से आती हूं तो जब दोबारा तैरने का सोचा तो पोशाक बाधा बन गई। लेकिन वालेस्सेरी रीवर स्विमिंग क्लब ने मुझे मेरे धार्मिक कपड़ों मे तैरने की इजाज़त दे दी। मैंने अभी भी अपने धार्मिक कपड़ों में ही पेरियार पार की है।” आरिफा अपने सफलता का श्रेय ट्रेनर साजी वालेसरी को देती हैं। साजी से ही उन्हें एक हफ्ते विशेष ट्रेनिंग मिली थी, जिसके बाद वह हाथ बांधे हुए तैरने में सहज हो गईं।