युवाओं के कार्य देश की एकता और अखंडता के प्रति सम्मान से निर्देशित होने चाहिए: उपराष्ट्रपति

युवाओं के कार्य देश की एकता और अखंडता के प्रति सम्मान से निर्देशित होने चाहिए: उपराष्ट्रपति

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  • Publish Date - December 30, 2025 / 04:40 PM IST,
    Updated On - December 30, 2025 / 04:40 PM IST

तिरुवनंतपुरम, 30 दिसंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन ने युवाओं को उनके संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने की आवश्यकता की याद दिलाते हुए मंगलवार को कहा कि जिम्मेदार नागरिक के रूप में उनके कार्य देश की विविधता के प्रति सम्मान तथा उसकी एकता और अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता से निर्देशित होने चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत के युवा भविष्य की प्रतीक्षा नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे स्वयं भविष्य हैं, और उनके सपनों में एक विकसित भारत की रूपरेखा निहित है।

उपराष्ट्रपति ने यहां मार इवानियोस कॉलेज के प्लेटिनम जुबली समारोह का उद्घाटन करने के बाद कहा कि जब युवा आराम की जगह उत्कृष्टता, स्वार्थ की जगह सेवा और संकीर्ण हितों की जगह राष्ट्र को चुनते हैं, तभी भारत का उत्थान होता है।

उन्होंने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य है और इस संबंध में वर्तमान पीढ़ी को जो अवसर प्राप्त हैं, वे उनके पूर्ववर्तियों को नहीं मिले थे।

उपराष्ट्रपति ने युवा पीढ़ी से कहा, “हमारा संविधान हमें अधिकार प्रदान करता है, लेकिन साथ ही साथ हमारे मौलिक कर्तव्यों, विविधता के प्रति सम्मान, वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने और भारत की एकता और अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता की याद दिलाता है। एक जीवंत लोकतंत्र के नागरिक के रूप में ये कर्तव्य आपके कार्यों का मार्गदर्शन करने चाहिए।”

राधाकृष्णन ने कहा कि अपने हृदय में साहस, मन में जिज्ञासा और कार्यों में करुणा के साथ, युवा भारतीय चुनौतियों को अवसरों में बदलने की शक्ति रखते हैं।

उन्होंने कहा, ‘एक विकसित भारत का निर्माण केवल सत्ता के गलियारों में ही नहीं होगा, बल्कि कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, खेतों, कारखानों, स्टार्टअप्स और गांवों में – युवा हाथों और उनके जज्बे के बल पर होगा।’

राधाकृष्णन ने यह भी कहा कि राष्ट्र का आह्वान स्पष्ट है – निडर होकर सपने देखो, अथक परिश्रम करो और निस्वार्थ भाव से नेतृत्व करो।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि मार इवानियोस कॉलेज जैसे संस्थान समाज में बौद्धिक रूप से सक्षम और नैतिक रूप से सुदृढ़ व्यक्तियों को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उन्होंने मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करने के प्रति संस्थान की सतत प्रतिबद्धता की भी प्रशंसा की।

भाषा नोमान नरेश

नरेश