नयी दिल्ली, 29 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने भोजन के बिल पर सेवा शुल्क अनिवार्य करने के विरुद्ध आदेश को चुनौती देने वाले रेस्तरां निकायों की याचिकाओं पर सुनवाई के लिए मंगलवार को नौ मई की तारीख तय की।
नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया की अपील मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आईं।
निकायों ने चार जुलाई, 2022 को जारी केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के दिशानिर्देशों के खिलाफ रेस्तरां निकायों की याचिकाओं को खारिज करने वाले एकल न्यायाधीश के 28 मार्च के फैसले को चुनौती दी, जिसमें होटलों और रेस्तरां को भोजन बल पर अनिवार्य रूप से सेवा शुल्क लगाने से रोक दिया गया था।
एकल न्यायाधीश ने दिशानिर्देशों को बरकरार रखा और प्रत्येक याचिकाकर्ता पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे उपभोक्ता कल्याण के लिए सीसीपीए के पास जमा किया जाना था।
एकल न्यायाधीश ने कहा कि रेस्तरां प्रतिष्ठानों द्वारा अनिवार्य सेवा शुल्क लगाना जनहित के विरुद्ध है और एक वर्ग के रूप में उपभोक्ताओं के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करता है।
एकल न्यायाधीश ने आगे कहा कि सेवा शुल्क वसूलना उपभोक्ताओं के लिए ‘दोहरी मार’ है, जिन्हें सेवा कर के अलावा माल और सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है।
भाषा सुरेश माधव
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