एनसीआर के नजदीक ताप विद्युत संयंत्रों में 10 साल से ‘स्टैक’ उत्सर्जन की जांच नहीं हुई: आरटीआई जवाब

एनसीआर के नजदीक ताप विद्युत संयंत्रों में 10 साल से ‘स्टैक’ उत्सर्जन की जांच नहीं हुई: आरटीआई जवाब

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  • Publish Date - December 12, 2025 / 08:16 PM IST,
    Updated On - December 12, 2025 / 08:16 PM IST

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने गत 10 वर्षों में दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में स्थित किसी भी ताप विद्युत संयंत्र की चिमनियों से होने वाले ‘स्टैक’उत्सर्जन की पूर्ण जांच नहीं की है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी में यह खुलासा हुआ है।

‘स्टैक’ उत्सर्जन निगरानी से तात्पर्य औद्योगिक चिमनियों से निकलने वाले प्रदूषकों के मापन और विश्लेषण से है। इससे वायु प्रदूषण के स्तर को सत्यापित किया जाता है और पर्यावरणीय मानदंडों का अनुपालन कराने में मदद मिलती है।

सरकार ने 2015 में नियम बनाए थे, जिनके तहत सभी ताप विद्युत संयंत्रों (टीपीपी) की चिमनी से होने वाले उत्सर्जन की निगरानी करना और रिपोर्ट देना अनिवार्य है।

आरटीआई आवेदन के जवाब में दी गई जानकारी में खुलासा हुआ है कि सीपीसीबी ने राष्ट्रीय राजधानी के 300 किलोमीटर के दायरे स्थित किसी भी कोयला आधारित टीपीपी के लिए पूर्ण स्टैक निगरानी नहीं की है, जबकि ये संयंत्र भारी मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड और पीएम 2.5 उत्सर्जित करते हैं।

जवाब के अनुसार, केवल दो संयंत्रों हरियाणा के दीनबंधु छोटूराम टीपीपी और पंजाब के गुरु हरगोबिंद टीपीपी में आंशिक निगरानी हुई थी, लेकिन सीपीसीबी ने कहा है कि उनका पूर्ण विश्लेषण और उत्सर्जन परिणाम रिपोर्ट अब भी लंबित है।

इसके मुताबिक, पर्यावरण मंत्रालय की 11 जुलाई, 2025 की अधिसूचना के तहत सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन मानक केवल ‘श्रेणी-ए’ के ताप विद्युत संयंत्र के लिए अनिवार्य हैं।

इनमें से तीन एनटीपीसी दादरी, महात्मा गांधी टीपीएस (झज्जर), इंदिरा गांधी एसटीपीएस (हिसार) ने प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली लगाई है, जबकि पानीपत संयंत्र अब भी गैर-अनुपालक है, जिसे दिसंबर 2027 तक समय दिया गया है। ताकि वह प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों को पूरा कर सके और आवश्यक प्रदूषण नियंत्रण प्रणालियां स्थापित कर सके।

दिल्ली के आसपास स्थित ऐसे चार संयंत्रों में से – एनटीपीसी दादरी, महात्मा गांधी टीपीएस (झज्जर), इंदिरा गांधी एसटीपीएस (हिसार) और पानीपत टीपीएस – तीन में प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली स्थापित की जा चुकी है, जबकि पानीपत संयंत्र अब भी नियमों का पालन नहीं कर रहा है। इसे 31 दिसंबर, 2027 तक मानदंडों को पूरा करने का समय दिया गया है।

आरटीआई के जवाब से यह भी जानकारी मिली है कि प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन न करने के लिए इनमें से किसी भी संयंत्र के खिलाफ न तो निगरानी की गई है और न ही कोई कार्रवाई शुरू की गई है।

आरटीआई याचिकाकर्ता अमित गुप्ता ने कहा कि यह खुलासा ‘‘गंभीर प्रवर्तन विफलताओं’’ को उजागर करता है।

उन्होंने बताया कि टीपीपी से अनियंत्रित उत्सर्जन दिल्ली के पीएम 2.5 स्तरों में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

गुप्ता ने कहा, ‘‘जब दिल्ली हर सर्दी में जहरीली हवा में सांस ले रही है, तब लगभग एक दशक से ‘स्टैक’ की पूर्ण निगरानी का अभाव चिंताजनक है।’’

शुक्रवार को दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम चार बजे 349 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में है।

भाषा सुमित धीरज

धीरज