ऋषिकेश, 25 अगस्त (भाषा) उत्तराखंड में राजाजी टाइगर रिजर्व से कई माह पूर्व पलायन करने वाला एक बाघ पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश के रेणुका के जंगलों में पाया गया।
राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक साकेत बडोला ने ‘पीटीआई भाषा’ के साथ यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि यह बाघ का एक लंबी दूरी का देशांतरण है जिसमें उसने चार राज्यों—उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से होते हुए सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय की।
उन्होंने बताया कि यह बाघ अब घर वापसी के रास्ते पर है और फिलहाल इसकी लोकेशन हिमाचल प्रदेश के रेणुका के जंगल में मिली है।
बडोला ने कहा कि हालांकि,यह कहना मुश्किल है कि यह बाघ भटकते हुए वहां पहुंचा या अपने लिए नए इलाके की तलाश में उसने कई सौ किलोमीटर का देशांतरण किया।
वन अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की तरफ से उन्हें इस बाघ का पीछा करने के निर्देश मिले थे।
उन्होंने कहा कि बाघ की पल-पल की जानकारी के लिए हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के वनाधिकारियों के बीच बेहतरीन तालमेल रहा और सबने एक टीम की तरह काम किया।
इस बाघ की आनुवांशिक गुणवत्ता भी बहुत उम्दा है और इसी वजह से यह चार राज्यों के बीच देशांतरण कर सुरक्षित लौट रहा है। उन्होंने कहा कि जुटाए गये प्रमाणों से साबित होता है कि यह वही बाघ है जो कई माह पहले अक्टूबर 2022 मे राजाजी टाइगर रिजर्व की गोहरी या चीला रेंज से गंगा पार करके मोतीचूर रेंज तक आया था।
फरवरी 2023 में यह बाघ हिमाचल स्थित पोंटा-रेणुका की सिम्बलवाड़ा वन्यजीव अभयारण्य में पाया गया, जबकि मई 2023 में इसकी लोकेशन हरियाणा स्थित कलेसर वन्यजीव अभयारण्य में मिली। अगस्त में यह फिर रेणुका के जंगलों में वापसी कर चुका है ।
बडोला ने बताया कि नर बाघों की यह सहज प्रवृत्ति है कि अपने लिये नए इलाके खोजने के लिए ये लंबे-लंबे देशांतरण करते रहे हैं। इस दौरान बाघ जंगलों में जिंदा रहने के लिए भोजन, पानी और सुरक्षित आश्रय सहित वास स्थल पर इंसानी दखल का अपनी सहज बुद्धि से आकलन करते हैं।
यदि खोजबीन जिंदा रहने के मानक पर खरी नहीं उतरती तब ये अपने मूल स्थान की तरफ लौटने लगते हैं। वन अधिकारी ने बताया कि बाघ के इतने लंबे अंतरराज्यीय देशांतरण से यह भी साबित हो गया कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल व हरियाणा के बीच वन्यजीव गलियारा अब भी जीवित है।
भाषा सं दीप्ति दीप्ति संतोष
संतोष