तिरुपति लड्डू विवाद: शीर्ष अदालत ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगायी

तिरुपति लड्डू विवाद: शीर्ष अदालत ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगायी

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  • Publish Date - September 26, 2025 / 06:49 PM IST,
    Updated On - September 26, 2025 / 06:49 PM IST

(फाइल फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक द्वारा शीर्ष अदालत द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से बाहर के एक अधिकारी को प्रसिद्ध तिरुमला तिरुपति मंदिर के ‘लड्डू प्रसादम’ (धार्मिक प्रसाद) में इस्तेमाल होने वाले घी में मिलावट की जांच करने की अनुमति देने को न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन बताया गया था।

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रसादम तैयार करने में इस्तेमाल किये जा रहे ‘मिलावटी घी’ की जांच करते समय सीबीआई निदेशक ने शीर्ष अदालत के निर्देशों का उल्लंघन किया।

सीबीआई निदेशक की याचिका पर राहत प्रदान करते हुए प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि इस जांच की निगरानी जांच एजेंसी के प्रमुख स्वयं कर रहे हैं, ऐसे में अगर किसी विशेष अधिकारी को जांच में सहयोग करने के लिए कहा जाता है, तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है।

पीठ ने पूछा, ‘‘अगर एसआईटी किसी खास अधिकारी की नियुक्ति करना चाहती है, तो इसमें क्या गलत है?’’

सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीबीआई निदेशक ने व्यक्तिगत रूप से एसआईटी सदस्यों के साथ बैठक की, मामले की समीक्षा की और जे वेंकट राव को सीमित भूमिका में ही, जांच अधिकारी बने रहने की अनुमति दी।

मेहता ने कहा,‘‘वह सिर्फ़ रिकॉर्ड रखने वाले हैं।’’

सॉलिसिटर जनरल के इस तर्क का प्रतिवादी के वकील ने विरोध करते हुए कहा, ‘‘जांच अधिकारी सिर्फ रिकार्ड रखने वाले नहीं हैं।’’

प्रतिवादी ने ही मूल रूप से उच्च न्यायालय का रुख किया था। उसके वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश में एसआईटी की संरचना स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट की गई थी और इसमें सीबीआई निदेशक द्वारा नामित दो सीबीआई अधिकारी, आंध्र प्रदेश पुलिस द्वारा नामित दो अधिकारी और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) का एक वरिष्ठ अधिकारी होना चाहिए।

उन्होंने तर्क दिया कि किसी अन्य अधिकारी को इसमें भाग लेने की अनुमति देना शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन है।

प्रधान न्यायाधीश ने पूछा, ‘‘क्या एसआईटी ने जांच की निगरानी खत्म कर दी है? वह तो सिर्फ एक जांच अधिकारी नियुक्त कर रही है, जो उसके नियंत्रण में काम कर रहा है।’’

उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाते हुए पीठ ने प्रतिवादी से सीबीआई निदेशक की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा।

यह विवाद उच्च न्यायालय के एक आदेश से उत्पन्न हुआ है, जिसमें कहा गया था कि सीबीआई निदेशक ने जे. वेंकट राव नाम के अधिकारी को मामले की जांच करने की अनुमति देकर शीर्ष अदालत के निर्देशों के विपरीत काम किया है, क्योंकि राव औपचारिक रूप से विशेष जांच दल (एसआईटी) का हिस्सा नहीं हैं।

भाषा राजकुमार दिलीप

दिलीप