Kerala Foundation Day 2023 : आज है केरल स्थापना दिवस, जानें प्रदेश के नाम एवं संस्कृति से जुड़ा इतिहास

Kerala Foundation Day 2023: आज मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत 7 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेश अपना स्थापना दिवस मना रहे हैं।

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  • Publish Date - November 1, 2023 / 08:44 AM IST,
    Updated On - November 1, 2023 / 08:44 AM IST

Kerala Foundation Day 2023 : तिरुवनन्तपुरम। आज मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत 7 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेश अपना स्थापना दिवस मना रहे हैं। जिसमें से एक केरल भी है। आज के ही दिन केरल भी अपना स्थापना दिवस मनाता है। केरल का पुनर्गठन 1 नवंबर 1956 को हुआ। इस दिन केरल में केरालाप्पिरवी केरल का जन्मदिन मनाया जाता है। कुछ क्षेत्रों में इसे मलयालम दिवस के नाम से भी जाना जाता है। केरल के जिलों की बात करें तो, इसमें अलपुझा जिला, एर्नाकुलम जिला, इडुक्की, कन्नूर, कासरगोड, कोल्लम, कोट्टायम, कोझिकोड, मलप्पुरम, पालक्काड़, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, वायनाड शामिल किए गए हैं।

राज्य का नाम केरल कैसे पड़ा

Kerala Foundation Day 2023 : केरल शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर विद्वानों में एकमत नहीं है। कहा जाता है कि “चेर – स्थल”, ‘कीचड़’ और “अलम-प्रदेश” शब्दों के योग से चेरलम बना था, जो बाद में केरल बन गया। केरल शब्द का एक और अर्थ है : – वह भूभाग जो समुद्र से निकला हो। समुद्र और पर्वत के संगम स्थान को भी केरल कहा जाता है। प्राचीन विदेशी यायावरों ने इस स्थल को ‘मलबार’ नाम से भी सम्बोधित किया है। काफी लबे अरसे तक यह भूभाग चेरा राजाओं के अधीन था एवं इस कारण भी चेरलम (चेरा का राज्य) और फिर केरलम नाम पड़ा होगा।

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केरल की संस्कृति

Kerala Foundation Day 2023 : केरल की संस्कृति हज़ारों साल पुरानी है। इसके इतिहास का प्रथम काल 1000 ईं. पूर्व से 300 ईस्वी तक माना जाता है। अधिकतर महाप्रस्तर युगीन स्मारिकाएँ पहाड़ी क्षेत्रों से प्राप्त हुई। अतः यह सिद्ध होता है कि केरल में अतिप्राचीन काल से मानव का वास था। केरल में आवास केन्द्रों के विकास का दूसरा चरण संगमकाल माना जाता है। यही प्राचीन तमिल साहित्य के निर्माण का काल है। संगमकाल सन् 300 ई. से 800 ई तक रहा। प्राचीन केरल को इतिहासकार तमिल भूभाग का अंग समझते थे। सुविधा की दृष्टि से केरल के इतिहास को प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक कालीन – तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं।

केरल का उत्सव और त्योहार

केरलीय जीवन की छवि यहाँ मनाये जाने वाले उत्सवों में दिखाई देती है। केरल में अनेक उत्सव मनाये जाते हैं जो सामाजिक मेल-मिलाप और आदान-प्रदान की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। केरलीय कलाओं का विकास यहाँ मनाये जाने वाले उत्सवों पर आधारित है। इन उत्सवों में कई का संबन्ध देवालयों से है, अर्थात् ये धर्माश्रित हैं तो अन्य कई उत्सव धर्मनिरपेक्ष हैं। ओणम केरल का राज्योत्सव है। यहाँ मनाये जाने वाले प्रमुख हिन्दू त्योहार हैं – विषु, नवरात्रि, दीपावली, शिवरात्रि, तिरुवातिरा आदि। मुसलमान रमज़ान, बकरीद, मुहरम, मिलाद-ए-शरीफ आदि मनाते हैं तो ईसाई क्रिसमस, ईस्टर आदि। इसके अतिरिक्त हिन्दू, मुस्लिम और ईसाइयों के देवालयों में भी विभिन्न प्रकार के उत्सव भी मनाये जाते हैं।

केरल की भाषा

केरल की भाषा मलयालम है जो द्रविड़ परिवार की भाषाओं में एक है। मलयालम भाषा के उद्गम के बारे में अनेक सिद्धान्त प्रस्तुत किए गए हैं। एक मत यह है कि भौगोलिक कारणों से किसी आदि द्रविड़ भाषा से मलयालम एक स्वतंत्र भाषा के रूप में विकसित हुई। इसके विपरीत दूसरा मत यह है कि मलयालम तमिल से व्युत्पन्न भाषा है। ये दोनों प्रबल मत हैं। सभी विद्वान यह मानते हैं कि भाषायी परिवर्तन की वजह से मलयालम उद्भूत हुई। तमिल, संस्कृत दोनों भाषाओं के साथ मलयालम का गहरा सम्बन्ध है। मलयालम का साहित्य मौखिक रूप में शताब्दियाँ पुराना है। परंतु साहित्यिक भाषा के रूप में उसका विकास 13 वीं शताब्दी से ही हुआ था। इस काल में लिखित ‘रामचरितम्’ को मलयालम का आदि काव्य माना जाता है।

 

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