शीर्ष अदालत ने राजीव गांधी हत्याकांड में चिकित्सा जांच के लिए दोषी की पैरोल बढ़ाई

शीर्ष अदालत ने राजीव गांधी हत्याकांड में चिकित्सा जांच के लिए दोषी की पैरोल बढ़ाई

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  • Publish Date - November 23, 2020 / 08:51 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:53 PM IST

नयी दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के जुर्म में उम्र कैद की सजा काट रहे एजी पेरारीवेलन की पैरोल को सोमवार को एक हफ्ते के लिए बढ़ा दिया, ताकि वह अपनी चिकित्सा जांच करा सके।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि वह अस्पताल में डॉक्टरों को दिखाने के लिए जाने के दौरान पेरारीवेलन को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराएं।

उसे मद्रास उच्च न्यायालय ने पैरोल दी थी जो सोमवार को खत्म हो रही थी। मगर पैरोल की अवधि एक हफ्ते बढ़ गई है।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि वह क्षमा देने के मुद्दे को जनवरी में देखेगा जब वह मामले का निपटान कर देगा।

अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सुनवाई की अगली तारीख पर याचिका में उठाए गए सभी मुद्दों का निदान करने को कहा।

सीबीआई ने 20 नवम्बर को दाखिल किये गये अपने हलफनामे में कहा था कि पेरारीवेलन को माफी देने पर तमिलनाडु के राज्यपाल को फैसला करना है।

सीबीआई ने कहा था कि पेरारीवेलन सीबीआई के नेतृत्व वाली ‘मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी’ (एमडीएमए) द्वारा की जा रही और जांच का विषय नहीं है। एमडीएमए जैन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ‘बड़ी साजिश’ के पहलू की जांच कर रहा है।

शीर्ष अदालत 46 वर्षीय पेरारीवेलन की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उसने एमडीएमए की जांच पूरी होने तक मामले में उसकी आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने का अनुरोध किया है।

उच्चतम न्यायालय ने राजीव गांधी हत्या मामले में दोषी की सजा माफी की याचिका तमिलनाडु के राज्यपाल के पास दो साल से अधिक समय से लंबित रहने पर तीन नवम्बर को नाराजगी जाहिर की थी।

सीबीआई ने अपने 24 पृष्ठ के हलफनामे में कहा, ‘‘यह तमिलनाडु के महामहिम राज्यपाल को फैसला करना है कि माफी दी जानी है या नहीं और जहां तक राहत की बात है, वर्तमान मामले में सीबीआई की कोई भूमिका नहीं है।’’

जांच एजेंसी ने कहा कि शीर्ष अदालत 14 मार्च, 2018 को पेरारीवेेलन के उस आवेदन को खारिज कर चुकी है, जिसमें उसने मामले में दोषी ठहराये जाने के शीर्ष अदालत के 11 मई, 1999 के फैसले को वापस लिये जाने का अनुरोध किया था।

उसने कहा, ”याचिकाकर्ता का यह दावा कि वह निर्दोष है और उसे राजीव गांधी की हत्या की साजिश के बारे में जानकारी नहीं थी, न तो स्वीकार्य है और न ही विचारणीय है।’’

शीर्ष अदालत ने इससे पहले याचिकाकर्ता पेरारीवेलन के वकील से पूछा था कि क्या अदालत अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर राज्यपाल से अनुच्छेद 161 के तहत दाखिल माफी याचिका पर फैसला लेने का अनुरोध कर सकती है।

अनुच्छेद 161 राज्यपाल को किसी भी आपराधिक मामले में अपराधी को माफी देने का अधिकार देता है।

शीर्ष अदालत ने कहा था, ‘‘हम इस क्षेत्र में अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं लेकिन हम इस बात से खुश नहीं हैं कि सरकार द्वारा की गई एक सिफारिश दो साल से लंबित है।’’

तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में 21 मई, 1991 को एक महिला आत्मघाती हमलावर ने एक चुनाव रैली के दौरान विस्फोट किया था, जिसमें राजीव गांधी की मौत हो गई थी।

भाषा

नोमान नरेश

नरेश