जयपुर, 22 जुलाई (भाषा) राजस्थान में बिजली कटौती तथा बिजली बिल में ‘ईंधन अधिभार’ के मुद्दे को लेकर सोमवार को विधानसभा में हंगामा हुआ। कांग्रेस के विधायकों ने जहां नारेबाजी की तो वहीं सरकार ने पूर्ववर्ती शासन के दौरान ‘कुप्रबंधन’ को बिजली कटौती का कारण बताया।
प्रश्नकाल व शून्यकाल के दौरान कांग्रेस विधायक इंद्रा मीणा, मनीष यादव तथा अमित चाचाण ने यह मुद्दा उठाया। प्रश्नकाल में ऊर्जा राज्यमंत्री हीरालाल नागर के उत्तर पर असंतोष जताते हुए नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने जवाब को सदन को गुमराह करने की कोशिश बताया।
उन्होंने पूछा कि जब मंत्री कह रहे हैं कि बिजली घरों को अपेक्षाकृत अधिक क्षमता से संचालित किया जा रहा है तो बिजली क्यों नहीं आ रही है? इसके बाद कांग्रेस विधायकों ने हंगामा व नारेबाजी की।
वहीं, शून्यकाल में अमित चाचाण ने बिजली कटौती के साथ-साथ बिजली बिलों पर ‘ईंधन अधिभार’ का मुद्दा उठाया। इसे लेकर भी कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी की व इसे वापस लेने की मांग की।
जूली ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी से आग्रह किया कि वह सरकार को इस बारे में निर्देश दें। इसके अलावा कांग्रेस विधायक मनीष यादव ने भी अघोषित बिजली कटौती का मुद्दा उठाया।
सरकार की ओर से ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हीरालाल नागर ने प्रश्नकाल में आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सरकार के समय ‘कुप्रबंधन’ के कारण राज्य में जनता को बिजली की कटौती झेलने को मजबूर होना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद राज्य सरकार प्रदेश में उत्पादन में बढ़ोतरी सहित अन्य उपायों के जरिए बिजली की निर्बाध आपूर्ति के लिए लगातार प्रयासरत है।
उन्होंने कहा कि इस साल अत्यधिक गर्मी के कारण बिजली की मांग में गत वर्ष की तुलना में 25 से 28 प्रतिशत तक की अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है।
मंत्री ने कहा कि प्रदेश के तापीय विद्युतगृहों को कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करने, क्षमता उपयोग कारक को 74 प्रतिशत तक पहुंचाने, रात्रि के समय मांग पूरी करने के लिए ‘एनर्जी एक्सचेंज’ से बिजली खरीदने तथा केन्द्रीय बिजलीघरों से 150 मेगावाट बिजली आवंटन जैसे प्रयासों के बावजूद इस बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए रात्रि के समय दो से तीन घंटे की कटौती करनी पड़ रही है।
मंत्री ने प्रदेश में बिजली संकट के समाधान के लिए उठाए जा रहे कदमों का विवरण सदन के पटल पर रखा।
भाषा पृथ्वी कुंज नोमान
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