अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाने वाले इन बच्चों को मिलेगा राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार

अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाने वाले इन बच्चों को मिलेगा राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार

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  • Publish Date - January 23, 2018 / 07:59 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:59 PM IST

कल्पना कीजिये की कोई महज 16 साल की लड़की अपने आस पास में चल रहे अवैध रैकेट को खत्म करवा दे या फिर महज 6 साल की बच्ची अपनी बहन की जान बचाने मगरमच्छ से मुकाबला कर ले ये बातें वास्तव में सामान्य व्यक्ति नहीं कर सकते। जी हाँ ये वही बच्चे हैं जिन्हे  इस साल के राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. आपको बता दें कि पुरे देश से इस साल कुल 18 बच्चों को इस सम्मान के लिए चुना गया है. जिनमें से  तीन बच्चे ऐसे हैं जिन्हे मरणोपरांत ये अवार्ड दिया जा रहा है।ये सभी  18 बहादुर बच्चे 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होंगे और प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से भी मिलेंगे इन बच्चों को प्रधानमंत्री एक कार्यक्रम के दौरान सम्मानित करेंगे। जानकारी के मुताबिक, 1957 में दो बहादुर बच्चों को तत्कालीन प्रधानमंत्री ने सम्मानित किया था. उसके बाद से हर साल बहादुर बच्चों को सम्मानित किया जाता है. 1957 से अबतक 669 लड़के और 276 लड़कियां को सम्मानित किया जा चुका है. इन बच्चों को आईसीसीडब्लू की तरफ से स्कॉलरशिप, अवार्ड (मेडल) और कैश पुरस्कार दिया जाता है.

जाने किन्हें दिया जा रहा है ये सम्मान 

गीता चोपड़ा अवार्ड: कर्नाटक की रहने वाली नेत्रावती एम चव्हाण ने तालब में डूतो दो बच्चों को बचाया. लेकिन 30 फुट गहरे में खुद डूब गई. निर्भकतापूर्वक खतरे का सामना करते हुए बच्चों की जान बचाते हुए अपने जीवन का बलिदान के लिए नेत्रावती को वीरता पुरस्कार दिया गया.

राजेश्वरी: 13 साल की राजेश्वरी ने अपनी जान देकर अपनी आंटी और चचेरे भाई को डूबने से तो बचाई लेकिन अपने प्राण दे दिए. घटना 10 नबम्बर 2016 को मणिपुर मे हुई.

 

भारत अवार्ड: वीरता का सबसे बड़ा पुरस्कार है. ये अवार्ड आगरा की रहने वाली 16 साल की नाज़िया को दिया गया है. आगरा के मंटोला इलाके में 40 साल से चल रहे अवैध जुए और सट्टों के अड्डों के खिलाफ आवाज उठाई. इस गैर कानूनी काम से इलाके के सभी निवासी और दुकानदार आतंकित थे लेकिन नाज़िया ने बिना किसी डर के आवाज उठाई.नाजिया ने इस अवैध काम के खिलाफ सबूत जुटाए और चार लोगों को जेल भिजवा दिया. लेकिन इसके बाद बदमाश उसके खिलाफ और ज्यादा हो गए. नाज़िया का घर से निकलना दूभर हो गया और उसके घर पर हमले होने लगे. उसके परिवारवाले अपना घर बेचकर कहीं दूर जाने का सोचने लगे. नाजिया ने घर छोड़कर जाने से मना कर दिया. अब उसने सीधे यूपी के मुख्यमंत्री को सीधे ट्वीट किया (जुलाई 2016). फिर क्या था पूरा पुलिस-प्रशासन हरकत में आ गया और बदमाशों और सटोरियों के खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ा गया. नाज़िया की सुरक्षा भी सुनिश्चित की गई.

संजय चोपड़ा अवार्ड: 20 सितबंर 2016 को करनबीर स्कूल बस से घर लौट रहा था. तभी बस नाले में जा गिरी. करनबीर बहादुरी पूर्वक बस का दरवाजा तोड़कर बाहर निकला और 15 छोटे बच्चों को बस से बाहर निकलने में मदद की. इस घटना में 08 बच्चों को तो बचा लिया गया लेकिन सात बच्चों की जान चली गई. 

10 जुलाई 2016 को पंकज सेमवाल ने उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में एक गुलदार (लेपर्ड) से अपनी मां की जान बचाई. अपनी मां को बचाने के लिए पंकज गुलदार से भिड़ गया और एक लकड़ी की मदद से घर से भगा दिया. इस घटना में पंकज की मां घायल हो गई थीं. पकंज के साहसिक और धैर्यपूर्ण शोर्य के लिए वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

बापू गाएधानी अवार्ड: मात्र छह साल की ममता दलाई ने मगरमच्छ से मुकाबला किया और अपनी बहन की जान बचाई. ये घटना 06 अप्रैल 2017 को ओडिसा में हुई थी। 

 

1 जुलाई 2016 को समृद्धि घर पर अकेली थी जब एक चोर घर में घुस आया. लेकिन समृद्धि ने हथियारबंद चोर का मुकाबला किया और उसे घर से भगा डाला. इस साहसपूर्ण कारवाई में समृद्धि घायल भी हो गई थी.

 

 

 

 

वेब टीम IBC24