(त्रिदीप लाखर)
गुवाहाटी, तीन अक्टूबर (भाषा)गायक जुबिन गर्ग मौत मामले में आरोपी इवेंट मैनेजर श्यामकानु महंत द्वारा कथित संगठित वित्तीय अपराधों और बेनामी संपत्तियों के अधिग्रहण की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग भी शामिल हो सकते हैं।
इस समय इन मामलों की जांच असम पुलिस कर रही है।
असम पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने महंत द्वारा एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) में अपनी पिछली नौकरी के दौरान कथित तौर पर की गई 20 साल से अधिक पुरानी वित्तीय अनियमितताओं का भी खुलासा किया है।
घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ईडी और आयकर विभाग के अधिकारी मामले की जांच के लिए पहले ही सीआईडी मुख्यालय का दौरा कर चुके हैं।
असम पुलिस ने कार्यक्रमों के आयोजक महंत के खिलाफ ‘‘संगठित वित्तीय अपराधों’’ और ‘‘धन शोधन के माध्यम से भारी मात्रा में बेनामी संपत्ति अर्जित करने’’ के आरोप में एक अलग जांच शुरू की है।
एक सूत्र ने बताया, ‘‘ईडी और आयकर विभाग के अधिकारियों ने सीआईडी कार्यालय का दौरा किया और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मामले पर चर्चा की है। उनके सीआईडी के साथ जांच में शामिल होने की संभावना है और जल्द ही औपचारिक निर्णय सामने आ सकता है।’’
सीआईडी ने 25 और 26 सितंबर को छापेमारी के दौरान महंत के घर से कई आपत्तिजनक दस्तावेज और सामान जब्त किए थे, जैसे एक ही कंपनी के नाम पर कई पैन कार्ड, विभिन्न कंपनियों और सरकारी अधिकारियों के लगभग 30 मोहर और कई बेनामी संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज।
सूत्र ने विस्तृत जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा कि इस समय अधिक जानकारी सार्वजनिक होने से जांच प्रभावित हो सकती है।
सीआईडी के विशेष डीजीपी मुन्ना प्रसाद गुप्ता ने ईडी और आयकर विभाग के महंत की कथित वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ जांच में शामिल होने के सवाल पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं उनकी ओर से टिप्पणी नहीं कर सकता। यह निर्णय उन्हें करना है।’’
सीआईडी वर्तमान में गर्ग की मौत को लेकर पूरे राज्य में दर्ज 60 से अधिक प्राथमिकियों के आधार पर जांच कर रही है। महंत ‘नार्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल’ के मुख्य आयोजक हैं, जहां गायक प्रस्तुति देने गए थे।
एक अन्य सूत्र ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि सीआईडी ने श्यामकानु महंत द्वारा कथित तौर पर की गई 20 साल से अधिक पुरानी वित्तीय अनियमितताओं का पता लगाया है। यह अनियमितता तब की है जब वह उत्तर पूर्वी विकास वित्त निगम लिमिटेड (एनईडीएफआई) में सहायक महाप्रबंधक के रूप में काम कर रहे थे।
उन्होंने बताया,‘‘जांच के दौरान खुलासा हुआ है कि महंत ने दो महाप्रबंधकों के साथ मिलकर असम में कॉल सेंटर खोलने के लिए डीएसएस ई-कनेक्ट लिमिटेड नामक कंपनी को 14 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण दिया था। कुल राशि में से 8.42 करोड़ रुपये 2001 में और छह करोड़ रुपये 2003 में वितरित किए गए।’’
सूत्र ने बताया कि जब 2003 तक ऋण चुकाने के लिए कोई किस्त नहीं चुकाई गई, तो एनईडीएफआई द्वारा आंतरिक जांच शुरू की गई, लेकिन यह कभी पूरी नहीं हुई।
भाषा धीरज नरेश
नरेश