Canada Election Results | Image Source | IBC24
कनाडा: Canada Election Results: कनाडा में हाल ही में संपन्न आम चुनावों में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के प्रमुख जगमीत सिंह को करारी हार का सामना करना पड़ा है। ब्रिटिश कोलंबिया की बर्नबी सेंट्रल सीट से चुनाव लड़ रहे जगमीत सिंह को लिबरल पार्टी के उम्मीदवार वेड चांग ने बड़े अंतर से शिकस्त दी। वेड चांग को जहां 40% से अधिक वोट मिले, वहीं जगमीत सिंह को केवल 27% वोटों पर ही संतोष करना पड़ा।
Canada Election Results: चुनाव में हार के बाद जगमीत सिंह ने NDP प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया है। यह उनकी लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ने की कोशिश थी, लेकिन इस बार जनता का समर्थन उनके साथ नहीं रहा। हार के बाद उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा की मैं जानता हूं कि यह रात न्यू डेमोक्रेट्स के लिए निराशाजनक है। लेकिन हम तभी हारते हैं जब हम उन लोगों पर विश्वास करते हैं जो हमें बताते हैं कि हम कभी भी बेहतर कनाडा का सपना नहीं देख सकते हैं। 46 वर्षीय सिंह ने कहा कि वह निराश जरूर हैं, लेकिन अपनी पार्टी और आंदोलन से उनका विश्वास खत्म नहीं हुआ है।
Canada Election Results: इस चुनाव में NDP को महज 7 सीटें ही हासिल हुई हैं, जबकि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बनाए रखने के लिए कम से कम 12 सीटें जरूरी होती हैं। पिछली बार NDP को 24 सीटें मिली थीं, जिससे वह एक महत्वपूर्ण विपक्षी दल की भूमिका निभा रही थी और जस्टिन ट्रूडो की लिबरल सरकार को समर्थन दे रही थी। लेकिन इस बार पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा।
Canada Election Results: कनाडा में हुए आम चुनावों में लिबरल पार्टी ने लगातार चौथी बार बहुमत हासिल किया है। मार्क कार्नी को देश का नया प्रधानमंत्री चुना गया है। गौरतलब है कि जनवरी 2025 में जस्टिन ट्रूडो ने पार्टी नेतृत्व और प्रधानमंत्री पद दोनों से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद मार्क कार्नी ने पार्टी की कमान संभाली और अब वे प्रधानमंत्री बन गए हैं।
Canada Election Results: जगमीत सिंह भारतीय मूल के कनाडाई नेता हैं, जिनका जन्म पंजाब के बरनाला जिले के ठीकरिवाल गांव में हुआ था। उनका परिवार 1970 के दशक में कनाडा चला गया था। राजनीति में आने से पहले वे एक पेशेवर वकील थे। हालांकि, जगमीत सिंह पर भारत विरोधी बयानबाज़ी और खालिस्तान समर्थकों को प्रोत्साहित करने के आरोप लगते रहे हैं। वे 1984 के सिख विरोधी दंगों और भारत के नागरिकता कानून के खिलाफ मुखर रहे हैं।