4 निगम मंडल अध्यक्षों को मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा, आयोग मंडलों में अब तक 50 लोगों की नियुक्तियां

बाबूलाल बंजारा, भरत दास त्यागी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। वहीं हेमंत तिवारी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है, इनके साथ ही सुल्तान सिंह शेखावत को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है।

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  • Publish Date - April 4, 2023 / 10:02 PM IST,
    Updated On - April 4, 2023 / 10:04 PM IST

4 corporation presidents got the status of cabinet minister: भोपाल। मध्यप्रदेश में राज्य सरकार ने 4 निगम मंडल अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया है। बाबूलाल बंजारा, भरत दास त्यागी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। वहीं हेमंत तिवारी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है, इनके साथ ही सुल्तान सिंह शेखावत को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। इस आशय के आदेश राज्य शासन ने जारी कर दिया है।

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बता दें कि चुनावी साल में सरकार ने निगम, मंडल समेत प्राधिकरणों में हुई राजनीतिक नियुक्तियों न सिर्फ मजबूत किया बल्कि पदाधिकारियों को भी खुश कर दिया है। सरकार ने निगम मंडल, बोर्ड, आयोग और प्राधिकरण के आठ सदस्यों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है। इसके अलावा चार उपाध्यक्षों को राज्य मंत्री दर्जा से नवाजा है।

इसके पहले सामान्य प्रशासन विभाग के जारी आदेश के बाद मप्र राज्य प्रवासी श्रमिक आयोग के अध्यक्ष भागचंद्र उईके, भोपाल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष कृष्णमोहन सोनी, मप्र योग आयोग के अध्यक्ष वेदप्रकाश शर्मा को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। इसके अलावा श्रम कल्याण मंडल के अध्यक्ष भगवानदास गोंडाने, माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष रामदयाल प्रजापति, बांस विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष घनश्याम पुरोनिया, मप्र राज्य स्तरीय कोल विकास प्राधिकरण अध्यक्ष रामलाल रोतेले और मप्र राज्य हज कमेटी के अध्यक्ष रफत वारसी को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा सरकार ने दिया।

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इनके अलावा राज्य मंत्री का दर्जा जिन्हें मिला है उनमें नंदराम कुशवाहा, उपाध्यक्ष, राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम। सुनील पांडे, उपाध्यक्ष, भोपाल विकास प्राधिकरण। अनिल अग्रवाल, उपाध्यक्ष, भोपाल विकास प्राधिकरण। राकेश शुक्ला, उपाध्यक्ष, इंदौर विकास प्राधिकरण के नाम शामिल हैं।

मध्यप्रदेश सरकार ने अब तक बोर्ड, निगम, विकास प्राधिकरणों, आयोग और मंडल में 46 नियुक्तियां की हैं। इसमें सिंधिया समर्थकों समेत ऐसे नेताओं के नाम शामिल रहे जो दूसरे दलों से बीजेपी में शामिल हुए। इसके अलावा बीजेपी के उन नेताओं को भी इस नियुक्ति दी गई जिन्हें आगामी चुनाव में टिकट न देकर पार्टी नाराजगी नहीं झेलना चाहती।