Chhindwara News: आंख, कान, नाक सब गायब, छिंदवाड़ा में जन्मा दुर्लभ बच्चा, देखकर डॉक्टर भी रह गया हैरान

Chhindwara News: आंख, कान, नाक सब गायब, छिंदवाड़ा में जन्मा दुर्लभ बच्चा, देखकर डॉक्टर भी रह गया हैरान

  •  
  • Publish Date - June 7, 2025 / 07:55 PM IST,
    Updated On - June 7, 2025 / 07:55 PM IST

Chhindwara News | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • बीमारी का नाम: हार्लेक्विन इचिथियोसिस – एक अत्यंत दुर्लभ जेनेटिक त्वचा रोग
  • क्षेत्रीय चौंकाव: परासिया ब्लॉक में तीन साल में तीसरा मामला
  • कारण: ABCA12 जीन में म्यूटेशन, माता-पिता दोनों के जीन में दोष होने पर रोग संभव

अजय द्विवेदी/छिंदवाड़ा: Chhindwara News मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से एक बेहद ही दुर्लभ मामला सामने आया है। यहां एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया। बताया जा रहा है कि महिला ने 22 मई को दुर्लभ बीमारी से ग्रसित बच्चे को जन्म दिया। बच्चे का पूरा शरीर सफेद परत से ढका हुआ था। आंख,कान,नाक सब गायब था और शरीर पूरा सफेद जैसे परत जमी हुई थी।

Read More: Adani Power Share Price: ब्रोकिंग फर्म हुई सुपर बुलिश! जानिए टारगेट प्राइस और पकड़िए मुनाफे की रफ्तार… 

Chhindwara News मेडिकल में इसे हार्लेक्विन इचिथोसिस बीमारी के नाम से से जाना जाता है। इसे दुर्लभ बीमारी कहा जाता है। बताया जाता है कि पांच लाख में से एक बच्चा इस बीमारी से पीड़ित होता है, लेकिन परासिया क्षेत्र में बीते दो सालों में इस बीमारी से ग्रसित तीन बच्चों ने सरकारी अस्पताल में जन्म लिया।

Read More: CG Police Transfer: पुलिस विभाग में ताबड़तोड़ तबादले, इस जिले में 100 से अधिक पुलिसकर्मी इधर से उधर, जानें किसे-कहां मिली नई पदस्थापना 

इससे पहले चांदामेटा में तीन नवंबर 2022 और परासिया में 25 जून 2024 को इस बीमारी से ग्रसित बच्चे ने जन्म लिया था। परासिया बीएमओ डॉक्टर शशि अतुलकर ने बताया कि हार्लेक्विन इचिथीसिस एक अनुवांशिक बीमारी है। परासिया ब्लॉक में तीन बच्चों ने जन्म लिया है जिन्हें बचाया नहीं जा सका है।

Read More: Janjgir Road Accident: हादसों का रविवार…यहां अलग-अलग हादसे में मासूम समेत 3 लोगों की मौत, गांव में पसरा मातम 

21 मई को छिंदवाड़ा जिले के परासिया में दीपक की पत्नी नीलम ने ऐसे ही बच्चे को जन्म दिया था। ये बच्चा हार्लेक्विन इचिथियोसिस नामक दुर्लभ बीमारी के साथ पैदा हुआ था। रिसर्च कहती है कि दुनिया भर में करीब 5 लाख में एक बच्चा इस बीमारी से पीड़ित से होता है, मगर परासिया में तीन साल में ये तीसरा मामला है।

Read More: Raipur news: रायपुर जेल में हुई मारपीट से टूटा पैर! पति को ठेले में लेकर थाने पहुंची महिला 

एक्सपर्ट के मुताबिक ये एक जेनेटिक (आनुवांशिक) बीमारी है। माता या पिता दोनों में से किसी एक के जीन्स की वजह से ये बच्चे में आती है। उनके मुताबिक इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। गर्भावस्था में भी इसे डाइग्नोज करना मुश्किल है। आखिर परासिया में ही इस बीमारी से पीड़ित बच्चे क्यों पैदा हो रहे हैं।

Read More: Indore Couple Missing Case : राजा-सोनम केस की होगी सीबीआई जांच? सीएम मोहन यादव ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से किया अनुरोध 

आपको बता दें कि यह एक अत्यंत दुर्लभ और गंभीर अनुवांशिक त्वचा रोग है, जो नवजात शिशु के जन्म के समय ही दिखाई देता है। यह बीमारी ABCA12 नामक जीन में होने वाले म्यूटेशन (गड़बड़ी) के कारण होती है। यह ऑटोसोमल रिसेसिव तरीके से फैलती है, यानी माता-पिता दोनों के जीन में दोष होने पर ही बच्चे में रोग उत्पन्न होता है। यह जीन त्वचा की सुरक्षा परत को बनाने में मदद करता है। जब यह काम नहीं करता, तो त्वचा की कोशिकाएं सामान्य रूप से विकसित नहीं हो पातीं।

Read More: Sonia Gandhi Health Update: अचानक सोनिया गांधी की बिगड़ी तबीयत, शिमला के IGMC में भर्ती

बताया जा रहा है ​कि त्वचा पर मोटी, सख्त और मोटी पपड़ी बनी होती है। त्वचा में गहरी दरारें होती हैं। आंखों की पलकें बाहर की ओर मुड़ी रहती है। होंठ बाहर निकले होते हैं। कान और नाक विकसित नहीं होते या छोटे होते हैं। अंगों की हरकत सीमित होती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। शरीर से पानी की कमी, संक्रमण का खतरा, और तापमान नियंत्रण में समस्या हो सकती है।

हार्लेक्विन इचिथियोसिस क्या है?

हार्लेक्विन इचिथियोसिस क्या है – यह एक अत्यंत दुर्लभ और गंभीर अनुवांशिक त्वचा रोग है जिसमें नवजात शिशु की त्वचा मोटी, सख्त और सफेद परतों में ढकी होती है।

हार्लेक्विन इचिथियोसिस बीमारी किन कारणों से होती है?

हार्लेक्विन इचिथियोसिस बीमारी का कारण ABCA12 नामक जीन में म्यूटेशन होता है। जब माता-पिता दोनों में यह दोषपूर्ण जीन मौजूद होता है, तभी यह बीमारी बच्चे में उत्पन्न होती है।

क्या हार्लेक्विन इचिथियोसिस का कोई इलाज है?

हार्लेक्विन इचिथियोसिस का इलाज फिलहाल स्थायी रूप से उपलब्ध नहीं है। इसका इलाज लक्षणों को कम करने और संक्रमण से बचाने पर केंद्रित होता है।