Balaghat News: नक्सलवाद छोड़ थामे संस्कृति का दामन! कलेक्टर की इस पहल से आदिवासी बना रहे नई पहचान, बोले- अब बहकावे में नहीं आएंगे

Balaghat News: नक्सलवाद छोड़ थामे संस्कृति का दामन! कलेक्टर की इस पहल से आदिवासी बना रहे नई पहचान, बोले- अब बहकावे में नहीं आएंगे

  • Reported By: Hiten Chauhan

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  • Publish Date - July 21, 2025 / 02:34 PM IST,
    Updated On - July 21, 2025 / 02:36 PM IST

Balaghat News/Image Source : IBC24

HIGHLIGHTS
  • नक्सलवाद छोड़ थामे संस्कृति का दामन,
  • बालाघाट में आदिवासियों की बदली राह,
  • कलेक्टर की पहल बनी मिसाल,

बालाघाट: Balaghat News:  नक्सलवाद के खिलाफ़ अब सिर्फ़ पुलिस ही नहीं, बल्कि आदिवासी ग्रामीण भी मोर्चा संभालते दिख रहे हैं। बालाघाट के कलेक्टर मृणाल मीना की अनोखी पहल का असर अब ज़मीनी स्तर पर दिखाई देने लगा है। बैगा आदिवासियों को संस्कृति से जोड़ने का यह प्रयोग नक्सलियों की सोच और साजिश पर सीधा प्रहार साबित होगा बल्कि यह पहल सिर्फ़ संस्कृति बचाने की नहीं नक्सलवाद के खिलाफ़ सामाजिक चेतना जगाने की भी हैं।

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Balaghat News:  मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित ज़िले बालाघाट में अब एक सांस्कृतिक आंदोलन से नक्सलवाद को चुनौती दी जा रही है। कलेक्टर मृणाल मीना की पहल पर अब तक 100 से अधिक बैगा आदिवासियों को 300 से ज्यादा पारंपरिक वाद्ययंत्र जैसे मांदर, नगाड़ा, टिमकी, करताल और बांसुरी बांटे गए हैं। साथ ही पारंपरिक परिधान भी दिए गए हैं। इससे आदिवासी युवा अब अपनी पहचान, अपनी संस्कृति और अपनी जड़ों से जुड़ रहे हैं। चर्चा के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि हमें जो हमारे पारंपरिक वाद्ययंत्र और पोषाक मिले हैं, उससे बहुत खुशी है। इससे हमारी संस्कृति भी बचेगी और हम इसे बजाकर कुछ कमाई भी कर सकेंगे। अब हमारी नई पीढ़ी भी इसे सीखेगी और आगे बढ़ेगी।

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Balaghat News:  बालाघाट से नक्सलवाद को खत्म करने के लिए एक ओर जहां सुरक्षा बल मोर्चे पर डटे हैं, वहीं अब आदिवासी भी संस्कृति और परंपरा को हथियार बनाकर नक्सलियों के बहकावे से दूर हो रहे हैं। प्रशासन और जनता के इस साझा प्रयास से उम्मीद की जा रही है कि 2026 की तय डेडलाइन से पहले ही नक्सलवाद पर निर्णायक वार होगा। कलेक्टर का मानना है कि नक्सली अक्सर आदिवासियों को यह कहकर बहकाते हैं कि सरकार उनकी संस्कृति की कद्र नहीं करती। लेकिन अब यह कोशिश नक्सलियों के उस झूठ को उजागर कर रही है।

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Balaghat News:  उनका यह भी कहना था कि वाद्ययंत्र और पारंपरिक परिधान संस्कृति को सहेजने के साथ-साथ आदिवासियों की आय का भी जरिया बन सकते हैं। बालाघाट कलेक्टर ने इससे पहले नक्सलियों के लिए सरेंडर नंबर जारी कर उन्हें आत्मसमर्पण का मौका दिया था। अब यह नई कोशिश आदिवासियों को नक्सलवाद से दूर कर एक सकारात्मक दिशा में ले जा रही है। साथ ही मोटे अनाजों के उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ाने की नीति बनाकर उन्हें आर्थिक रूप से भी मजबूत करने की तैयारी की जा रही है।

"बैगा आदिवासियों को वाद्ययंत्र वितरण" किस उद्देश्य से किया गया है?

"बैगा आदिवासियों को वाद्ययंत्र वितरण" का उद्देश्य उन्हें संस्कृति से जोड़ना और नक्सल प्रभाव से दूर रखना है। इससे उनकी पहचान भी संरक्षित होगी और आजीविका का साधन भी बनेगा।

क्या "संस्कृति के माध्यम से नक्सलवाद पर प्रहार" संभव है?

हां, "संस्कृति के माध्यम से नक्सलवाद पर प्रहार" एक प्रभावी रणनीति बन रही है, क्योंकि इससे युवाओं का रुझान विकास की ओर हो रहा है, जिससे वे नक्सलियों के बहकावे में नहीं आ रहे।

"बालाघाट कलेक्टर मृणाल मीना" की इस पहल को क्या प्रतिक्रिया मिली है?

"बालाघाट कलेक्टर मृणाल मीना" की पहल को स्थानीय ग्रामीणों और राज्य स्तर पर बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। इसे सांस्कृतिक पुनर्जागरण के साथ-साथ एक सामाजिक आंदोलन भी माना जा रहा है।

क्या "वाद्ययंत्र वितरण योजना" का नक्सलियों पर असर दिखा है?

जी हां, "वाद्ययंत्र वितरण योजना" से आदिवासी नक्सली संपर्क से दूर हो रहे हैं। यह नरमी और समझदारी की नीति के तहत एक सफल प्रयास माना जा रहा है।

"नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सांस्कृतिक अभियान" की क्या भविष्यवाणी है?

"नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सांस्कृतिक अभियान" से भविष्य में स्थायी शांति, सामाजिक समरसता और आर्थिक सशक्तिकरण की संभावना है।