Duty of MPs and MLAs: भोपाल। मध्य प्रदेश में 51 फीसदी वोट के साथ बीजेपी ने 200 विधानसभा सीटें जीतने का जो लक्ष्य तय किया है, उसे पाने के लिए बीजेपी अब सांसदों और विधायकों को भी काम पर लगाएगी। पार्टी की रणनीति है कि पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में जिन बूथों पर बीजेपी का प्रदर्शन कमजोर रहा है वहां सांसदों और विधायकों को तैनात किया जाएगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेशभर में भाजपा के कमजोर प्रदर्शन वाले 2500 बूथों को चिन्हित किया गया है।
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Duty of MPs and MLAs: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव सवा साल बाद होंगे लेकिन राजनीतिक दल अभी से चुनाव मैदान में उतर आए हैं। इसमें बीजेपी ने जमीनी स्तर पर बिसात बिछानी शुरू कर दी है। बीजेपी ने त्रिदेव के साथ अब सांसद और विधायकों को भी कमजोर बूथों को सशक्त करने की जिम्मेदारी दी है। इन्हें चुनाव से पहले इन बूथों पर अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी, जिससे आने वाले समय में पार्टी का वोट बैंक सुधारा जा सके। कमजोर बूथों पर पहुंचकर सांसद विधायकों को पंजीयन करवाकर इसकी जानकारी प्रदेश संगठन को भेजनी होगी।
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Duty of MPs and MLAs: इसके बाद ये रिपोर्ट दिल्ली मुख्यालय भेजी जाएगी। बीजेपी के सांसद, विधायकों को एक रिपोर्ट बनाकर भी देनी होगी कि आखिर सी श्रेणी के बूथ को बी श्रेणी में कैसे लाया जाए। सांसद-विधायकों से कहा गया है कि बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं की सहायता से वे उक्त क्षेत्र के हितग्राहियों से संवाद बनाए रखने का जरिया स्थापित करें, ताकि उनकी बात सुनी जा सके। साथ ही ये पता लगाएं कि सरकार की योजनाओं का लाभ लेने वाले आखिर पार्टी को मत क्यों नहीं दे रहे हैं। सरकार की योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों व हितग्राहियों को मिल सके इस दिशा में भी मसौदा बनाना होगा। इसके साथ ही संगठन की रणनीति है कि सांसद-विधायक अपने क्षेत्र के कमजोर बूथों पर अधिक ध्यान दें, इसमें बी श्रेणी वाले बूथों को ए में शामिल करें। वही सी श्रेणी वाले बूथों को बी श्रेणी में शामिल कराने पर जोर दें।
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Duty of MPs and MLAs: बीजेपी संगठन ने 2024 से पहले हर बूथ की मैदानी स्थिति की समीक्षा करवा रहा है, जिसमें मध्य प्रदेश में स्थानीय चुनाव के बाद बूथों की रिपोर्ट भी तैयार की गई। जिसमें बूथ को तीन कैटेगरी में बांटा गया। ए श्रेणी में उन बूथ को रखा गया, जहां बीजेपी का वर्चस्व सालों से बना हुआ है। बी श्रेणी में उन बूथों को रखा गया, जहां बीजेपी भी जीतती है तो कभी हारती है। सी श्रेणी में उन बूथ को रखा गया, जहां बीजेपी का वोट बैंक कमजोर है यानी जहां से बीजेपी कभी जीतती ही नहीं है। नगरीय निकाय के चुनावों की समीक्षा के बाद प्रदेश संगठन ने प्रदेश में ढाई हजार से अधिक ऐसे बूथ चिह्नित किए हैं, जहां बेजीपी कमजोर है। इसलिए इन बूथों पर बीजेपी का सबसे अधिक ध्यान है। हालांकि कांग्रेस का आरोप है बीजेपी यहां अपने मेनेजमेंट से नहीं बल्कि सत्ता के जोर पर चुनाव जीतने की तैयारी में है।
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Duty of MPs and MLAs: नगरीय निकाय चुनाव में जिस तरीके से बीजेपी की मंशानुसार परिणाम अपेक्षाकृत अच्छे नहीं रहे हैं उसे बीजेपी ने बहुत गंभीरता से लिया है। यही वजह है कि अब संगठन का ध्यान एक-एक कमजोर बूथ पर है। जिसके तहत त्रिदेव को जमीनी स्तर पर काम करने के साथ ही सांसद-विधायकों को भी पूरी ताकत लगानी होगी। सांसद-विधायकों को अपने क्षेत्र के अधिक कमजोर बूथ पर जाकर उन कारणों को तलाशना होगा, जिनके कारण बीजेपी लगातार हार रही है। इतना ही नहीं उन हार के कारणों को दूर करने के रास्ते भी तलाशने होंगे। उन्हें यह बताना होगा कि किस तरीके से इन बूथों पर फतह हासिल की जा सकती है।