(रिपोर्टः सुधीर दंडोतिया) Cross Voting in Presidential Election भोपालः देश को द्रौपदी मुर्मू के रुप में नई राष्ट्रपति मिल चुकी। इस संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी महिला है। द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में 121 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। 17 सांसदों ने भी मुर्मू का साथ दिया. क्रॉस वोटिंग ने न केवल विपक्षी एकता के नारे को पंचर किया बल्कि ये भी संदेश दिया विपक्ष की आगे की राह और भी मुश्किल होने वाली है। एमपी में भी 19 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है। कांग्रेस ने राष्ट्रपति चुनाव में खरीद फरोख्त के आरोप लगाए थे। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या कांग्रेस की आशंका सही साबित हुई या फिर वफादारी पर अंतरआत्मा की आवाज भारी पड़ी?
Cross Voting in Presidential Election बीजेपी और कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों के बाद की है। द्रौपदी मुर्मू की जीत से उत्साहित बीजेपी जश्न मना रही है। तो वहीं कांग्रेस समीक्षा की बात कर रही है। दरअसल देश के कई राज्यों में विपक्षी विधायकों ने एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में वोट किया है। मध्यप्रदेश में भी क्रॉस वोटिंग हुई. द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में 146 वोट पड़े। जबकि बीजेपी विधायकों की संख्या 127 है यानी 19 वोट ज्यादा, जबकि यशवंत सिन्हा के खाते में 79 वोट गिरे. और 5 वोट रिजेक्ट हुए। नतीजे आते ही सत्तापक्ष ने गैर बीजेपी विधायकों को बधाई देने में जुट गए। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर कहा गैर बीजेपी विधायकों को बधाई दी। क्रॉस वोटिंग को लेकर बीजेपी नेता कांग्रेस की चुटकी ले रहे हैं।
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राष्ट्रपति चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है। कांग्रेस बार बार कह रही थी उसके सारे विधायक एकजुट है पर राष्ट्रपति चुनाव में कोर्स वोटिंग ने कांग्रेस विधायकों की एकजुटता और विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे है। कांग्रेस क्रॉस वोटिंग को लेकर समीक्षा की बात कर रही है।
कांग्रेस लाख दावे करें कि कोई खतरा नहीं सभी विधायक एकजुट हैं। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग ने कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। सत्तापलट के बाद कांग्रेस बार बार दावा करती रही है कि उनकी पार्टी में अब बिकाऊ और गद्दार विधायक नहीं है। लेकिन 19 विधायकों की क्रॉस वोटिंग से कांग्रेस को बड़ा झटका जरूर लगा होगा। साथ ही संदेश भी कि आगामी चुनाव से पहले कांग्रेस को अपना कुनबा संभालने की जरूरत है।