इंदौर (मप्र), तीन अप्रैल (भाषा) इंदौर की एक पुरानी बावड़ी के ऊपर अवैध रूप से बने बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में दो साल पहले हुए भीषण हादसे के मामले में जिला अदालत ने इस देवस्थान से जुड़े ट्रस्ट के दो प्रमुख पदाधिकारियों को सबूतों के अभाव में बृहस्पतिवार को आरोपों से बरी कर दिया। बचाव पक्ष के एक वकील ने यह जानकारी दी।
मंदिर में हुए हादसे में 36 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी जिनमें दो बच्चे और 21 महिलाएं शामिल थीं।
बचाव पक्ष के वकील राघवेंद्र सिंह बैस ने संवाददाताओं को बताया कि एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली कुमार सबनानी को भारतीय दंड विधान की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), धारा 323 (जान-बूझकर चोट पहुंचाना) और धारा 325 (जान-बूझकर गंभीर चोट पहुंचाना) के आरोपों से मुक्त कर दिया।
उन्होंने कहा,‘‘अदालत ने मेरे दोनों मुवक्किलों को सबूतों के अभाव में आरोपों से बरी किया।’’
बैस के मुताबिक अभियोजन पक्ष ने उनके दोनों मुवक्किलों पर आरोप साबित करने के लिए अदालत में कुल 33 गवाह पेश किए थे जिनमें कुछ सरकारी अधिकारी भी थे।
उन्होंने कहा कि गवाहों में शामिल इंदौर विकास प्राधिकरण के एक अधिकारी ने अदालत में बयान दिया कि हादसे से जुड़ी बावड़ी सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज ही नहीं है।
बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान इंदौर नगर निगम के कर्मचारियों ने भी इस बावड़ी को लेकर अनभिज्ञता जताई, जबकि निगम का एक कार्यालय घटनास्थल के एकदम पास स्थित है।
बैस ने कहा कि अदालत ने अपने फैसले में इस मामले से जुड़े सरकारी अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर टिप्पणियां की हैं।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की फर्श 30 मार्च 2023 को रामनवमी के हवन-पूजन के दौरान इस तरह धंस गई कि बावड़ी में गिरकर 21 महिलाओं और दो बच्चों समेत 36 लोगों की जान चली गई थी।
प्रशासन ने हादसे के चार दिन बाद तीन अप्रैल 2023 को बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर के देवी-देवताओं की मूर्तियां अन्य देवस्थान में पहुंचाई थीं। इसके बाद आम लोगों की सुरक्षा का हवाला देते हुए बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर को ढहा दिया था।
इसके साथ ही, भीषण हादसे की गवाह रही बावड़ी को मलबा डालकर हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था।
भाषा हर्ष
राजकुमार
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