Reported By: Prateek Mishra
,Khandwa News/Image Source: IBC24
खंडवा: Khandwa News: परिजन की रोकटोक से परेशान बिहार की दो नाबालिग सहेलियों ने मुंबई में बसने का प्लान बना लिया। प्रेमियों से बात की तो उन्होंने साथ देने की हामी भर दी। बोले कि पहले तुम जाओ, फिर हम आते हैं। प्रेमियों ने लड़कियों को मुंबई की ट्रेन में बैठा दिया। लड़कियों के भागने की बात परिजनों को पता लगी तो वे पुलिस के पास पहुँचे। मोबाइल लोकेशन सर्च की गई। इसके आधार पर खंडवा रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स ने उन्हें स्टेशन पर उतार लिया और सरकारी खानापूर्ति के बाद परिजनों को सौंप दिया।
Khandwa News: लड़कियाँ बिहार के नालंदा ज़िले की रहने वाली हैं। एक ही स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ती हैं। खंडवा बाल कल्याण समिति ने काउंसलिंग की तो पता चला कि एक छात्रा अपने दादा-दादी से परेशान थी, तो दूसरी अपने माता-पिता और भाई से। एक के पिता दिल्ली में मिट्टी के बर्तन बनाते हैं, तो दूसरी के पिता अहमदाबाद की फ़ैक्ट्री में मज़दूरी करते हैं। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने बताया कि 15 और 16 साल की सहेलियाँ नालंदा के एक गाँव में आसपास ही रहती हैं। दोनों के नाबालिग प्रेमी भी उसी मोहल्ले में रहते हैं। वे अधिकतर समय अपने प्रेमियों से फ़ोन पर बात करती रहती थीं। परिजन उन्हें टोकते थे। इसी कारण परिवार में आए दिन विवाद होता था। उन्होंने प्रेमियों के साथ मुंबई जाकर शादी करने और वहीं बसने का प्लान बना लिया।
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Khandwa News: लड़कियों के कहने पर उनके प्रेमियों ने करीब 10 दिन पहले मुंबई जाकर किराए का मकान देख लिया था। मुंबई में ही रहने वाले दोस्त की मदद से वहाँ रहने के लिए व्यवस्थाएँ जुटा ली थीं। गाँव लौटकर लड़कियों से कहा– पहले तुम जाओ, वहाँ 8 दिन रहो, उसके बाद हम आते हैं। 23 अगस्त को दोनों सहेलियाँ जनता एक्सप्रेस ट्रेन में सवार होकर मुंबई के लिए निकलीं। उनके पास मोबाइल थे, जो उन्होंने छात्रवृत्ति योजना में मिले रुपयों से खरीदे थे। इन्हीं मोबाइलों को ट्रेस करके नालंदा पुलिस ने उनकी लोकेशन निकाली। फिर खंडवा RPF को सूचना दी। खंडवा रेलवे स्टेशन पर 24 अगस्त की रात साढ़े 11 बजे RPF ने दोनों सहेलियों को उतार लिया।
Khandwa News: खंडवा RPF ने लड़कियों के परिजन को सूचना दी। वे स्थानीय पुलिस के साथ मंगलवार दोपहर टैक्सी से खंडवा पहुँचे। 1400 किलोमीटर का सफर 27 घंटे में तय किया। यहाँ बाल कल्याण समिति ने परिजन के बयान दर्ज किए और लड़कियों को उनके सुपुर्द कर दिया। इस दौरान एक छात्रा ने अपने भाई के साथ जाने से मना कर दिया। भाई भी घबरा गया कि रास्ते में फिर कोई गड़बड़ न हो जाए। समिति ने दोनों भाई-बहन को समझाइश दी और घर के लिए रवाना किया।