Madhya Pradesh Politics : बागियों का एक्शन, दलबदल का टेंशन, प्रदेश में बह रही है दलबदल की बयार

Madhya Pradesh Politics : बरसात का मौसम बीत रहा है और सर्दियों के साथ सियासी मौसम भी एंट्री ले रहा है। मौसम जब चुनावी होता है तो दलबदल

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  • Publish Date - September 2, 2023 / 10:07 PM IST,
    Updated On - September 2, 2023 / 10:07 PM IST

Madhya Pradesh Politics

भोपाल : Madhya Pradesh Politics : बरसात का मौसम बीत रहा है और सर्दियों के साथ सियासी मौसम भी एंट्री ले रहा है। मौसम जब चुनावी होता है तो दलबदल की बयार भी बहती है। फिलहाल मध्यप्रदेश में दलबदल की ये बयार जमकर बह रही है। एमपी में आज फिर कई भाजपा नेताओं ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली, तो कई नेता कांग्रेस से भाजपा में भी गए हैं। ऐसे में क्या बागियों का एक्शन सियासी दलों का सबसे बड़ा टेंशन है, क्या ये दलबदलु सियासी दलों के समीकरणों को बिगाड़ सकते हैं।

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Madhya Pradesh Politics :  कारों का ये काफिला है गुड्डू राजा बुंदेला का जिन्होंने शनिवार को भोपाल में प्रदेश कांग्रेस दफ्तर पहुंचकर कांग्रेस ज्वाइन कर ली। गुड्डू राजा बुंदेला के साथ बीजेपी के कई नेताओं ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला,स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष भंवर जितेंद्र सिंह के सामने कांग्रेस का हाथ थामा। इनमें कोलारस से बीजेपी विधायक वीरेंद्र रघुवंशी, पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत, चंद्रभूषण सिंह, छेदीलाल पांडे, शिवम पांडे, अरविंद धाकड़, अंशु रघुवंशी, डॉ केशव यादव, डॉ आशीष अग्रवाल और महेंद्र प्रताप सिंह शामिल हैं। इससे पहले भी पूर्व मंत्री दीपक जोशी और समंदर पटेल कांग्रेस में शामिल हो चुके है। अपने कुनबे को लगातार बढ़ता देख कांग्रेस इसे बड़ी जीत के तौर पर पेश कर रही है।

ये दलबदल उस वक्त हुआ है जब बीजेपी जन आशीर्वाद यात्रा निकालने वाली है। हालांकि पाला बदलने वालों में सिर्फ बीजेपी के नेता ही शामिल नहीं हैं, बल्कि कांग्रेस से भाजपा में जाने वालों की लिस्ट भी लंबी है। हाल ही में कांग्रेस नेता छाया मोरे, सुनील जायसवाल, शैलेश राठौर, प्रकाश उइके, राम सिंह मीणा, नितेश मुजाल्दे, आकांक्षा बघेल समेत कई नेता बीजेपी में शामिल हुए हैं। आज के दलबदल पर बीजेपी कह रही है कि कांग्रेस के पास कोई उम्मीदवार नहीं, इसलिए वो बीजेपी के नेताओं को ले जा रही है।

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Madhya Pradesh Politics :  चुनावी मौसम में बागियों के एक्शन से दलबदल का टेंशन कोई नया नहीं है। दलबदल के बाद चाहे भाजपा हो या कांग्रेस इसे अपनी ताकत बताती है। लेकिन फायदा और नुकसान तो साल के आखिर में होने वाले चुनाव नतीजों के बाद ही पता चलेगा।

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