Mandsaur Gangrape Case: 7 साल की मासूम से गैंगरेप केस में बड़ा फैसला, इरफान-आसिफ को फांसी नहीं, अब उम्रभर जेल में सड़ेंगे दरिंदे

7 साल की मासूम से गैंगरेप केस में बड़ा फैसला, इरफान-आसिफ को फांसी नहीं...Mandsaur Gangrape Case: Big decision in the case of gangrape

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  • Publish Date - July 1, 2025 / 03:39 PM IST,
    Updated On - July 1, 2025 / 03:39 PM IST

Mandsaur Gangrape Case | Image Source | IBC24

HIGHLIGHTS
  • मंदसौर गैंगरेप केस,
  • 7 साल की बच्ची से दरिंदगी के दो दोषियों की फांसी टली,
  • कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा,

मंदसौर: Mandsaur Gangrape Case: मंदसौर के किला रोड इलाके में 9 साल पहले अबोध बालिका के साथ हुए गैंग रेप के मामले में लंबी जिरह के बाद न्यायालय ने अब दोनों आरोपियों की फांसी की सजा टालते हुए आज जन्म कारावास की सजा सुनाई है। 26 जून 2018 को आरोपी इरफान मेवाती और उसके साथी आसिफ मेवाती ने 7 वर्षीय छात्रा के स्कूल से लौटते वक्त गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था

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Mandsaur Gangrape Case: दरअसल अब इस मामले में स्थानिय कोर्ट ने दो महीने के भीतर ही फैसला देते हुए 31 अगस्त 2018 को दोनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि यह मामला हाई कोर्ट में भी चला और हाईकोर्ट ने स्थानिक कोर्ट के फांसी के फैसले को बरकरार रखते हुए ही दोनों को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। लेकिन इस फैसले की आरोपी पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थ और सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को डीएनए एक्सपर्ट के बयान और मामले की पुनरीक्षण सुनवाई के लिए वापस स्थानिय कोर्ट को भेज दिया था। अब इस मामले में भोपाल डीएनए लेब के तकनीकी अधिकारियों के बयान भी हुए हैं । उधर लंबी जिरह के बाद पोक्सो एक्ट की फास्ट्रेक कोर्ट की जज श्रीमती शिल्पा तिवारी ने आज इस मामले में दोनों आरोपियों की फांसी के मृत्युदंड के फैसले के बजाय हुए आरोपी इरफान और आसिफ को आजन्म कारावास की सजा सुनाई है।

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Mandsaur Gangrape Case: इस मामले में वकील आसिफ मंसूरी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के बाद मामले की जिला कोर्ट में दोबारा सुनवाई की गई और डीएनए एक्सपर्ट के बयान और जेल रिकॉर्ड के मुताबिक दोनों आरोपियों की फांसी की सजा की बजाय माननीय न्यायालय ने दोनों आरोपियों को आजन्म कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में तत्कालीन एसपी मंदसौर और वर्तमान रतलाम डीआईजी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि आज ही जानकारी मिली है, कि कोर्ट ने इस मामले में दोनों आरोपियों की सजा को आजन्म कारावास सुनाया है ।अब मामले की पुन जांच के बाद इसकी अग्रिम अपील की कार्रवाई की जाएगी।

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Mandsaur Gangrape Case: आरोपी के वकील अनीस मंसूरी ने बताया कि आज 2018 के रेप केस के प्रकरण में एक जजमेंट आया है। इस मामले की अपील पहले हाईकोर्ट हुई उसके बाद सुप्रीम कोर्ट न्यायालय ने इस मामले को रिमांड किया और कहा कि एक्सपर्ट के बयान करवाए जाएं। एक्सपर्ट के बयान ट्रायल के दौरान हुए हैं इसके बाद आरोपियों का आचरण और बाकी चीजों को देखते हुए आरोपी इरफान और आसिफ को फांसी की सजा हटाकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

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Mandsaur Gangrape Case: 26 जून 2018 को स्कूल से एक लड़की गायब हो गई, जिसे कथित तौर पर दो लड़के उठाकर ले गए और उसके साथ बलात्कार किया। इस मामले में इरफान और आसिफ को आरोपी बनाया गया और 21 अगस्त 2018 को मंदसौर कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई। इंदौर हाईकोर्ट ने भी दोबारा सुनवाई के बाद 9 सितंबर 2021 को फांसी की सजा बरकरार रखी।

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Mandsaur Gangrape Case: हालांकि जब इरफान और आसिफ ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की तो डीएनए और वैज्ञानिक साक्ष्यों को लेकर सवाल उठे। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखने के बजाय मामले को ट्रायल कोर्ट में दोबारा चलाने का आदेश दिया जिसके बाद सोमवार दोपहर फैसला आया और मंदसौर ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों के फांसी की सजा को मृत्यु पर्यंत में बदल दिया यानी कि जब तक मृत्यु नहीं हो जाती तब तक आरोपी जेल में ही रहेंगे।

मंदसौर गैंगरेप केस में "फांसी की सजा क्यों हटाई गई"?

सुप्रीम कोर्ट ने डीएनए और वैज्ञानिक साक्ष्यों में तकनीकी खामियों को देखते हुए मामला ट्रायल कोर्ट को लौटाया। ट्रायल कोर्ट ने एक्सपर्ट गवाही और आचरण के आधार पर फांसी की जगह आजन्म कारावास की सजा सुनाई।

क्या "आरोपी इरफान और आसिफ को जेल से रिहा किया जाएगा"?

नहीं। उन्हें मृत्यु पर्यंत कारावास की सजा दी गई है, यानी जब तक वे जीवित हैं, तब तक उन्हें जेल में ही रहना होगा।

"मंदसौर गैंगरेप केस" में सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया?

सुप्रीम कोर्ट ने सीधे फैसला न सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट को पुनः वैज्ञानिक साक्ष्य और डीएनए विशेषज्ञों के बयान के आधार पर निर्णय देने का निर्देश दिया था।

मंदसौर केस में "फास्ट ट्रैक कोर्ट की भूमिका क्या रही"?

फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मामले की गंभीरता और स्पीडी ट्रायल के तहत सुनवाई पूरी कर दोनों आरोपियों को मृत्यु पर्यंत कारावास की सजा दी।

क्या "पीड़िता को न्याय मिला"?

कानूनी प्रक्रिया के अनुसार, आरोपियों को आजीवन जेल में रखने का आदेश, एक सख्त दंड है। परिवार अगर चाहे तो सुप्रीम कोर्ट में पुनः फांसी की मांग को लेकर अपील कर सकता है।