शिव की सरकार.. महाकाल करेंगे बेड़ापार! उज्जैन में मंथन के पीछे 2023 की चुनावी प्लानिंग है?

शिव की सरकार.. महाकाल करेंगे बेड़ापार! उज्जैन में मंथन के पीछे 2023 की चुनावी प्लानिंग है? Meeting of Shivraj cabinet was held in Ujjain For the first time in history

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  • Publish Date - September 27, 2022 / 11:17 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:48 PM IST

(रिपोर्टः सुधीर दंडोतिया) भोपालः इतिहास में पहली बार धार्मिक नगरी उज्जैन में कैबिनेट की बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता स्वयं महाकाल ने की। बैठक में निर्णय ये लिया गया कि अब महाकाल कॉरिडोर श्री महाकाल लोक के नाम से जाना जाएगा। क्षिप्रा नदी के घाटों का विस्तार होगा। इसके अतिरिक्त कई अहम फैसले हुए। लेकिन कांग्रेस ने ये कहते हुए इस बैठक पर सवाल उठा दिया कि बीजेपी ने महाकाल के समांतर चलने की कोशिश की है। जो गलत है। सवाल ये भी है कि जब महाकाल की अध्यक्षता में बैठक हो रही थी तो कांग्रेस का सवाल कितना वाजिब है। सवाल ये भी है कि महाकाल की शरण में मंथन के पीछे 2023 की चुनावी प्लानिंग है?

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आम तौर पर कैबिनेट की बैठक सीएम की अध्यक्षता में होती है लेकिन उज्जैन में शिवराज कैबिनेट की बैठक बाबा महाकाल की अध्यक्षता में हुई. शिवराज सरकार ने महाकाल की शरण में बैठकर प्रदेश के विकास का मंथन पहली बार किया है, बैठक में सीएम ने कहा है कि महाकाल महाराज ही सरकार हैं। अभी तक बीजेपी उज्जैन से चुनाव अभियान की शुरुआत करती रही है। लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक साल भर पहले महाकाल की शिवराज और मंत्री गण बाबा महाकाल के सेवक के रूप में नजर आकर कई संदेश देने की कोशिश की. सबसे जरूरी संदेश ये कि बीजेपी के एजेंडा में हिंदुत्व सबसे ऊपर है।

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बाबा महाकाल की अध्यक्षता में हुई बैठक को लेकर कांग्रेस खड़ी कर रही है. कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री मुकेश नायक ने सरकार को घेरते हुए कहा कि उज्जैन में केवल एक ही सरकार है बाबा महाकाल। जबकि बीजेपी बाबा महाकाल सरकार के समांतर सरकार चलाने की कोशिश की है. कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाया।

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212 साल बाद ये ऐसा मौका था जब महाकाल के दरबार में राजा के रूप में दरबार को सजाया गया। कुल मिलाकर विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी पहले कूनो में चीता की वापसी को सियासी इवेंट बनाया और अब महाकाल की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक करके एक बार फिर कई संदेश देने की कोशिश की। ऐसे में सवाल है कि क्या मिशन 2023 की तैयारियों में जुटी बीजेपी को इसका फायदा मिलेगा।