Bhopal News : नाबालिग रेप पीड़िता ने दिया बच्चे को जन्म, एक साल से पीड़िता का शारीरिक शोषण कर रहा था युवक

Bhopal News: एक नाबालिक रेप पीड़िता ने शिशु को जन्म दिया है। अस्पताल की सूचना पर पुलिस ने FIR दर्ज की है। जिसके बाद जांच शुरू करते हुए पुलिस ने पीड़िता और उसके परिजन के बयान दर्ज किए हैं।

  • Reported By: Harpreet Kaur

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  • Publish Date - October 13, 2025 / 11:52 PM IST,
    Updated On - October 13, 2025 / 11:55 PM IST

UP Rape News

HIGHLIGHTS
  • नाबालिग रेप पीड़िता ने शिशु को जन्म दिया
  • अस्पताल की सूचना पर पुलिस ने FIR दर्ज की
  • 12 अक्टूबर 2024 को पहली बार हुआ रेप

भोपाल। Bhopal News, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से इस वक्त की एक बड़ी खबर सामने आयी है। यहां पर एक नाबालिग रेप पीड़िता ने शिशु को जन्म दिया है। अस्पताल की सूचना पर पुलिस ने FIR दर्ज की है। जिसके बाद जांच शुरू करते हुए पुलिस ने पीड़िता और उसके परिजन के बयान दर्ज किए हैं। (Minor rape victim gives birth to a baby)

आरोपी लगातार कर रहा था पीड़िता का शारीरिक शोषण

अब पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी है। मिली जानकारी के अनुसार पीड़िता के साथ मोहल्ले में रहने वाले रवि वाल्मीकि ने 12 अक्टूबर 2024 को रेप किया था। जिसके बाद से आरोपी लगातार पीड़िता का शारीरिक शोषण कर रहा था। यह छोला मंदिर थाना इलाके का मामला बताया जा रहा है। पुलिस मामले की जांच और आरोपी की तलाश में जुट गई है।

36 सप्ताह से अधिक गर्भवती नाबालिग को बच्चे को जन्म देने की अनुमति

इसके पहले एमपी हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए 36 सप्ताह से अधिक गर्भवती नाबालिग बलात्कार पीड़िता को बच्चे को जन्म देने की अनुमति दी है। कोर्ट ने कहा कि इस समय गर्भपात करना पीड़िता और भ्रूण दोनों के लिए जानलेवा हो सकता है। पीड़िता और उसके परिजनों ने बच्चे के जन्म के बाद उसे साथ न रखने की सहमति दी है।

यह मामला तब सामने आया जब सतना जिला न्यायालय ने 15 साल 8 महीने की बलात्कार पीड़िता के गर्भवती होने की जानकारी हाईकोर्ट को पत्र के जरिए दी। हाईकोर्ट ने इस पत्र को एक याचिका के तौर पर स्वीकार किया और पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट मांगी।

मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में बताया गया कि पीड़िता की गर्भावस्था 36 सप्ताह से अधिक है और उसका हीमोग्लोबिन भी सामान्य से कम है। रिपोर्ट में यह भी साफ कहा गया कि इस समय गर्भपात कराने से पीड़िता और पेट में पल रहे बच्चे, दोनों की जान को गंभीर खतरा है।

पीड़िता और उसके अभिभावकों को गर्भपात के सभी खतरों के बारे में विस्तार से समझाया गया। सारी बातें सुनने के बाद, पीड़िता और उसके अभिभावकों ने बच्चे को जन्म देने के लिए अपनी सहमति दे दी। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वे बच्चे को अपने साथ नहीं रखना चाहते।

15 दिन तक साथ रहेंगे दोनों

हाईकोर्ट की युगलपीठ ने इस स्थिति को समझते हुए, पीड़िता की सहमति से बच्चे को जन्म देने की इजाजत दे दी। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि बच्चा पैदा होने के बाद, स्तनपान के लिए उसे 15 दिनों तक पीड़िता के पास रखा जाएगा। इसके बाद, बच्चे को सीडब्ल्यूसी (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) सतना के अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि बच्चे के पालन-पोषण के लिए हर संभव सावधानी बरती जाए। सीडब्ल्यूसी को यह अधिकार होगा कि वह बच्चे को किसी ऐसे परिवार को गोद दे सके जो उसे अपनाना चाहता है, या फिर उसे राज्य सरकार को सौंप दे।

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