Farmers troubled by the closure of soil testing laboratory for two and a half years
Farmers troubled by the closure of soil testing laboratory: रायसेन। जिले में कृषि विभाग मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाऐं खोलकर भूल गया है। लगभग ढाई साल से इन प्रयोगशालाओं में ताले डले हैं। किसान कल्याण तथा कृषि विभाग द्वारा कृषि उपज मंडियों में लाखों रुपए की लागत से किसानों की मिट्टी का परीक्षण करने के लिए मृदा परीक्षण प्रयोगशाओं बनाई गई। जब किसान वहां पहुंचते हैं तो ताले डले मिलते हैं, जिससे किसानों को कोई लाभ अभी तक नहीं मिल पाया है। मृदा परीक्षण प्रयोगशाला निर्माण का आदेश नवंबर 2015 में हुआ था जिसकी लागत 36 लाख रुपए थी, जिसे आठ माह में पूर्ण कराना था। जो की बनाये भी गए, लेकिन सन 2016 से शुरू होने का कर रहे है इंतजार सिर्फ जिला मुख्यालय की प्रयोगशाला चालू बाकी जगह बन्द।
फसलों का उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से किया था निर्माण
खेतों की मिट्टी की जांच कराकर किसान फसलों का उत्पादन बढ़ा सके इस उद्देश्य से जिले के छह विकासखंड में एक-एक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला भवन बनकर तैयार है। कर्मचारियों की पदस्थापना न होने के चलते प्रयोगशाला भवनों में ताला लटक रहे है। शासन द्वारा लाखों रुपए खर्च कर प्रयोगशाला भवन का निर्माण तो करा दिया गया, लेकिन कर्मचारियों की पदस्थापना नहीं की गई है। ऐसे में जिले के किसानों को स्थानीय स्तर पर इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
जिले के किसानों को कई किलोमीटर का सफर तय कर जिला मुख्यालय स्थित प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए मिट्टी के नमूने लेकर आना पडता है। ऐसी स्थिति में समय और पैसा दोनों ही किसानों का बर्बाद हो रहा है। गौरतलब है कि वर्ष 2016 में कृषि विभाग द्वारा 36 लाख रुपए की लागत से जिले में छह जगह मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला का निर्माण कराया गया था। वहीं 27 लाख की मशीन भी लगी हुई है, लेकिन छः वर्ष बीत जाने के बाद भी बाद भी परीक्षण केंद्र शुरू नहीं हो पाया है।
शो पीस बने प्रयोगशाला भवन
किसान मिट्टी परीक्षण के लिए परेशान हो रहे हैं। क्षेत्र के 80 हजार से अधिक किसान मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला शुरू न होने के कारण इसका लाभ नहीं ले पा रहे है। उदयपुरा में मृदा परीक्षण प्रयोगशाला को कटीली शाखाओ से बंद कर दिया, वही अतिक्रमण भी हो गया । सिलवानी में मृदा परीक्षण केंद्र में गाय के गोवर के कंडे बनाये जा रहे है । बही गैरतगंज में व्यापारियों का बारदाना भरा हुआ है अन्य जगह के हालात भी ऐसे ही हैं। बंद के बाद भी विजली का लाखो का भुगतान भी किया जा रहा है ।
जानकारी के मुताबिक पिछले लगभग दो वर्ष पहले विकासखंडों में प्रयोगशाला भवन बनकर तैयार हैं, जो वर्तमान स्थिति में शो पीस बने हुए हैं। प्रयोगशाला शुरू नहीं होने से जिले के विकासखंड उदयपुरा , बाड़ी, ओबेदुल्लागंज, सिलवानी,गैरतगंज, बेगमगंज क्षेत्र के सैकड़ों जागरुक किसान जिला मुख्यालय स्थित एक मात्र प्रयोगशाला में मिट्टी की जांच कराने पहुंचते हैं। देखरेख के अभाव में प्रयोगशाला भवन जर्जर होने लगे हैं। कुछ प्रयोगशाला भवन को तारफेन्सिंग और बागड़ लगाकर बंद कर दिया है तो कुछ प्रयोगशाला भवन में गाय के गोवर के कंडे बन रहे है । तो कुछ प्रयोगशाला में बारदाना भरा हुआ है।
प्रतिवर्ष जमा हो रहे बंद भवनों के बिजली बिल
बंद प्रयोगशाला भवनों का बिजली का बिल प्रतिवर्ष जमा भी हो रहा है । जिले के छह विकासखंड में एक एक मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला भवन बनकर तैयार है। प्रयोगशाला में मशीनें, उपकरण, मिट्टी की जांच के लिए आवश्यक केमिकल सहित अन्य सामग्री भी आ चुकी है। कर्मचारियों की पदस्थापना न होने से प्रयोगशाला में मिट्टी की जांच शुरू नहीं हो पा रही है। ऐसी स्थिति में किसानों को इस बात की जानकारी नहीं लग पा रही है कि उनके खेतों की मिट्टी में कौन से पोषक तत्वों की कमी है। मिट्टी की उर्वरा क्षमता बढाने के लिए किस प्रकार के पोषक तत्व व खाद आदि खेतों में डालना चाहिए।
Farmers troubled by the closure of soil testing laboratory: जिला मुख्यालय स्थित एकमात्र प्रयोगशाला तक अधिकांश किसान नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में उनके खेतों की मिट्टी की जांच न होने से उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है। पौधों की समुचित वृद्धि एवं विकास के लिए सर्वमान्य रूप से सोलह पोषक तत्व आवश्यक पाए गए है । यह अनिवार्य पोषक तत्व है। कार्बन,हाइड्रोजन, आक्सीजन, नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश,कैल्शियम, मैग्निशियम एवं सल्फर इन पोषक तत्वों की सही जांच नही होने के कारण कृषि लाभ का धंधा नही रहा है। करीब ढाई साल का अरसा गुजर गया, लेकिन मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच नहीं हो रही है।इस संबंध में कलेक्टर का कहना है की उनका ध्यान इस ओर दिलाया है ।बे इन्हें संचालित करने के लिए बिभाग को निर्देश देंगे ।
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