The story of Bhimkund located in Khandwa is related to Mahabharata Era
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प्रतीक मिश्रा, खंडवा। अद्भुत, अलौकिक भीमाशंकर और भीमकुंड… भूत भावन भोले भगवान अपने अलग–अलग रूपों और नामो से कई जगह विराजमान है। भोले बाबा के कई धाम तो ऐसे हैं, जहां पहुंच पाना आसान नहीं है। लेकिन शिव के भक्त भी इरादों के बड़े सख्त होते है और बाबा के पास पहुंच ही जाते है। ऐसी ही एक जगह खंडवा शहर से दूर नदी किनारे जंगल में है जिसका नाम है भीमकुंड। यह धाम है भीमाशंकर महादेव का।
माना जाता है, कि यह महाराष्ट्र में विराजित द्वादश ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर महादेव का ही प्रतिरूप है, जो खंडवा के भीमकुंड में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए पगडंडी का सहारा लेना होता है। इसके बाद आता है, भीमाशंकर महादेव का दिव्य धाम। इस मंदिर की देखरेख महंत दुर्गानंद गिरी और उनके शिष्यगण करते है। पांडव कालीन इस मंदिर से कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई है, जिन्हे हमने महंत दुर्गानंद गिरी जी से जानने की कोशिश की। आइए आपको बताते है पांडवो के अज्ञातवास, बाहुबली भीम और उनके गदा से निर्मित भीम कुंड की आंखों देखी कहानी…
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