कुल 8,000 सरकारी कर्मचारियों को लाडकी बहिण योजना का लाभ मिला: मंत्री तटकरे

कुल 8,000 सरकारी कर्मचारियों को लाडकी बहिण योजना का लाभ मिला: मंत्री तटकरे

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  • Publish Date - December 10, 2025 / 08:31 PM IST,
    Updated On - December 10, 2025 / 08:31 PM IST

नागपुर, 10 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र विधानसभा में बुधवार को ‘मुख्यमंत्री माजी लाडकी बहीण योजना’ के कथित दुरुपयोग को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक हुई।

सरकार ने स्वीकार किया कि करीब 8,000 सरकारी कर्मचारियों ने पात्रता न होने के बावजूद इस योजना का लाभ लिया।

महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने बताया कि 12,000 से 14,000 महिलाओं ने अपने नाम पर बैंक खाता न होने के कारण पति या पुरुष परिजनों के खातों का इस्तेमाल कर मासिक 1,500 रुपये की सहायता राशि प्राप्त की।

उन्होंने बताया कि कई महिलाएं अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ ले चुकी थीं और इस कारण ‘मुख्यमंत्री माजी लाडकी बहीण योजना’ के लिए अयोग्य थीं।

तटकरे ने कहा कि ऐसे मामलों की अगले दो महीनों में विस्तृत जांच की जाएगी।

उन्होंने बताया, “विभिन्न विभागों के लगभग 8,000 कर्मचारियों के लाभ लेने की बात भी सामने आई है। यह पूरी तरह से अवैध है और सरकार ऐसे लाभार्थियों से राशि की वसूली शुरू कर चुकी है।”

तटकरे ने कहा कि योजना की शुरुआत के समय विभाग के पास अन्य योजनाओं के लाभार्थियों का समेकित डेटा उपलब्ध नहीं था, लेकिन अब आईटी विभाग की मदद से डेटा मिलान शुरू कर दिया गया है।

चर्चा की शुरुआत शिवसेना (उबाठा) विधायक सुनिल प्रभु के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव से हुई, जिसमें उन्होंने ‘मुख्यमंत्री माजी लाडकी बहीण योजना’ में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।

प्रभु ने दावा किया कि 12,431 पुरुषों ने धोखाधड़ी कर योजना में पंजीकरण कराया, जिससे 164 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

कांग्रेस विधायक नाना पटोले ने आरोप लगाया कि आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी सेविकाओं और ग्राम सेवकों को लक्ष्य देकर पंजीकरण करवाए गए, जिससे फर्जी आवेदनों की संख्या बढ़ी।

उन्होंने कहा कि “सरकार को सार्वजनिक धन के इस कुप्रबंधन का जवाब देना होगा।”

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के वरिष्ठ नेता जयंत पाटिल ने योजना में बाद में ई-केवाईसी जैसी शर्तें जोड़े जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार निधि वितरण कम करने के लिए इस तरह की शर्तें लागू कर रही है।

तटकरे ने जवाब दिया कि कई महिलाओं के पास बैंक खाता नहीं था और पुरुष परिजनों के खाते इस्तेमाल किए जा रहे थे, इसलिए ई-केवाईसी के जरिये सत्यापन जरूरी था।

इसी दौरान विधानसभा में एक अन्य मुद्दे पर भी राजनीतिक टकराव हुआ। कांग्रेस विधायक नाना पटोले ने हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में अनियमितताओं का हवाला देते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त (एसईसी) के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की मांग की।

विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने उनकी मांग खारिज करते हुए कहा कि यह विषय सदन के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और उच्च न्यायालय के एक हालिया फैसले के अनुरूप नहीं है।

पटोले ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने “दिनदहाड़े लोकतंत्र का गला घोंटा” और मतदाताओं में भ्रम फैलाया।

उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद अनियमितताओं को “अभूतपूर्व” बता चुके हैं, तो संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत कार्रवाई आवश्यक है।

स्थानीय निकाय चुनावों के तहत 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों में पहले दो दिसंबर को मतदान निर्धारित था, लेकिन मात्र 264 निकायों में वोट डाले गए। बाकी निकायों के लिए मतदान 20 दिसंबर को होगा। सभी निकायों की मतगणना 21 दिसंबर को की जाएगी।

फडणवीस ने मतदान स्थगित करने के फैसले से असहमति जताते हुए कहा था कि चुनाव से एक दिन पहले मतदान टालने का कोई प्रावधान नहीं है।

भाषा राखी पारुल

पारुल