Semen of Deceased Man: वंश को आगे बढ़ाने अपने बेटे के वीर्य को उपयोग में लाना चाहती है मां, HC ने प्रजनन केंद्र को दिए अहम निर्देश

Semen of Deceased Man Be Preserved: उच्च न्यायालय ने मृत व्यक्ति के वीर्य को सुनवाई पूरी होने तक प्रजनन केंद्र से सुरक्षित रखने को कहा

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  • Publish Date - June 27, 2025 / 03:49 PM IST,
    Updated On - June 27, 2025 / 04:28 PM IST

Semen of Deceased Man Be Preserved, image source: file

HIGHLIGHTS
  • फरवरी में अपनी मृत्यु के समय अविवाहित था व्यक्ति 
  • प्रजनन केंद्र ने मां को वीर्य देने से किया इनकार

मुंबई: Semen of Deceased Man Be Preserved , मुंबई उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में यहां स्थित एक प्रजनन केंद्र को निर्देश दिया है कि वह एक मृत अविवाहित व्यक्ति के वीर्य को उसकी मां की याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक सुरक्षित रखे। व्यक्ति की मां वंश को आगे बढ़ाने के लिए अपने बेटे के वीर्य को उपयोग में लाना चाहती है। प्रजनन केंद्र ने अपने पास रखे मृत व्यक्ति के वीर्य को उसकी मां को देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद महिला ने उच्च न्यायालय का रुख किया।

व्यक्ति ने अपने सहमति पत्र में आग्रह किया था कि उसकी मृत्यु के बाद वीर्य को फेंक दिया जाए। व्यक्ति ने कैंसर के इलाज के तहत कीमोथेरेपी कराने के दौरान अपने वीर्य को सुरक्षित रखने का विकल्प चुना था।

न्यायमूर्ति मनीष पितले की पीठ ने 25 जून को कहा कि यदि मृतक के वीर्य को याचिका की सुनवाई होने तक सुरक्षित नहीं रखा जाता है तो यह याचिका निरर्थक हो जाएगी। अदालत ने याचिका की अगली सुनवाई 30 जुलाई के लिए निर्धारित कर दी। अदालत ने आदेश दिया, ‘‘इस बीच, अंतरिम निर्देश के रूप में, प्रजनन केंद्र को याचिका के लंबित रहने के दौरान मृतक के वीर्य को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया जाता है।’’

फरवरी में अपनी मृत्यु के समय अविवाहित था व्यक्ति

Semen of Deceased Man Be Preserved, पीठ ने कहा कि याचिका सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम, 2021 के प्रावधानों के तहत किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके वीर्य को सुरक्षित रखने के तरीके के संबंध में महत्वपूर्ण सवाल उठाती है। अदालत ने बताया कि वर्तमान मामले में, फरवरी में अपनी मृत्यु के समय व्यक्ति अविवाहित था।

महिला ने अपनी याचिका में दलील दी कि उनके बेटे ने परिवार के सदस्यों से परामर्श किये बिना अपने सहमति पत्र में यह रजामंदी दे दी कि अगर उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसके सुरक्षित रखे वीर्य को फेंक दिया जाए। व्यक्ति की मृत्यु के बाद, उसकी मां ने मुंबई स्थित प्रजनन केंद्र से अनुरोध किया था कि वह नमूने को भविष्य में उपयोग में लाये जाने के लिए गुजरात स्थित एक आईवीएफ केंद्र में स्थानांतरित करने की अनुमति प्रदान करे।

प्रजनन केंद्र ने मां को वीर्य देने से किया इनकार

हालांकि, प्रजनन केंद्र ने इनकार कर दिया और व्यक्ति की मां को नए कानून के तहत अदालत से अनुमति प्राप्त करने के लिए कहा। इस कानून का उद्देश्य इस प्रक्रिया में नैतिकता को सुनिश्चित करना, दुरुपयोग को रोकना और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी सेवाओं की मांग करने वाले व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करना भी है।

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क्या किसी मृत व्यक्ति का वीर्य उसकी मां को दिया जा सकता है?

उत्तर: यह सीधे तौर पर सहमति और कानून पर निर्भर करता है। अगर मृत व्यक्ति ने स्पष्ट रूप से लिखित सहमति दी है कि मृत्यु के बाद वीर्य नष्ट कर दिया जाए, तो सामान्यतः उसे परिवार को नहीं दिया जा सकता। हालांकि अदालत यह देखती है कि क्या यह सहमति स्वतंत्र, सूचित और सभी कानूनी पहलुओं को समझते हुए दी गई थी।

सहायक प्रजनन तकनीक (ART) अधिनियम, 2021 इस विषय में क्या कहता है?

उत्तर: ART अधिनियम, 2021 का उद्देश्य सहायक प्रजनन तकनीक की नैतिकता, सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। यह अधिनियम मृत्यु के बाद वीर्य या अंडाणु के उपयोग के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश देता है। कानून के अनुसार, बिना स्पष्ट सहमति के, मृत व्यक्ति के वीर्य का उपयोग नहीं किया जा सकता।

क्या मां अपने बेटे के वीर्य का उपयोग परिवार बढ़ाने के लिए कर सकती है?

उत्तर: यह कानूनी और नैतिक रूप से विवादास्पद है। भारत में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो सीधे तौर पर किसी माता-पिता को मृत संतान के वीर्य का उपयोग करके पोता/पोती उत्पन्न करने की अनुमति देता हो। अदालतें इस पर निर्णय मामले की परिस्थितियों और व्यक्ति की स्पष्ट इच्छाओं के अनुसार लेती हैं।

अगर मृत व्यक्ति ने कहा हो कि वीर्य फेंक दिया जाए, तो क्या फिर भी अदालत में चुनौती दी जा सकती है

उत्तर: हां, यदि यह तर्क दिया जाए कि सहमति अधूरी जानकारी या दबाव में दी गई थी, या मृत व्यक्ति को संभावित विकल्पों की जानकारी नहीं थी, तो अदालत उस सहमति को जांचने और चुनौती देने की अनुमति दे सकती है, जैसा कि इस मामले में मां ने किया।

क्या यह मामला भविष्य में कानूनी दृष्टिकोण से मिसाल (precedent) बनेगा?

उत्तर: संभवतः हां। चूंकि यह मामला ART अधिनियम के नए प्रावधानों के तहत आया है, और यह “मृत्यु के बाद प्रजनन” जैसे कम चर्चा किए गए विषय को संबोधित करता है, इसलिए अदालत का अंतिम फैसला भविष्य के समान मामलों के लिए दिशा-निर्देश तय कर सकता है।