मुंबई, 19 जुलाई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से नौ फरवरी को जारी उस अधिसूचना को शुक्रवार को रद्द कर दिया जिसमें सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूलों के एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले निजी स्कूलों को शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत आरक्षित दाखिले से छूट दी गई थी।
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि यह अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 21 और बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) 2009 के प्रावधानों के विरुद्ध है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘अधिसूचना निरस्त मानी जाए।’’
हालांकि, पीठ ने कहा कि मई में अधिसूचना के क्रियान्वयन पर रोक लगाने से पहले कुछ निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों ने छात्रों को प्रवेश दिया था।
पीठ ने कहा कि इन दाखिलों में कोई बाधा नहीं डाली जाएगी, लेकिन स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि आरटीई के तहत 25 प्रतिशत सीट भरी जाएं।
मई में उच्च न्यायालय ने अधिसूचना के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। कई याचिकाओं में अधिसूचना को चुनौती देते हुए दावा किया गया था कि यह आरटीई अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करती है।
अधिसूचना से पहले, सभी गैर-सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों के लिए आर्थिक रूप से कमजोर एवं वंचित वर्ग के बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करना अनिवार्य था।
याचिकाओं में कहा गया है कि अधिसूचना बच्चों के शिक्षा के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करती है।
भाषा शोभना मनीषा
मनीषा
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