मुंबई, 21 अक्टूबर (भाषा) मुंबई की एक धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने धोखाधड़ी के जरिये अमेरिकी नागरिकों से कम से कम 127 करोड़ रुपये की वसूली करने वाले गिरोह के दो कथित सदस्यों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए हैं।
न्यायाधीश आर बी रोटे ने 15 अक्टूबर को अलग-अलग आदेशों में कहा कि आरोपी केतव रवानी और करण सिंह शेखावत गिरफ्तारी से बच रहे हैं।
पीएमएलए मामला मई, 2025 में पुणे साइबर पुलिस थाने द्वारा रवानी, शेखावत और कई अन्य के खिलाफ दर्ज एक प्राथमिकी से जुड़ा है।
यह मामला पुणे की एक इमारत से कथित तौर पर संचालित ‘मैग्नाटेल बीपीएस एंड कंसल्टेंट्स एलएलपी’ नामक कंपनी के जरिए साइबर धोखाधड़ी से जुड़ा था।
पुलिस द्वारा दायर आरोप-पत्र के अनुसार, धोखाधड़ी करने वालों ने अमेरिकी नागरिकों को पहले से रिकॉर्ड किए गए ‘वॉइसमेल’ भेजे, जिनमें दावा किया गया कि उनके अमेजन खातों का दुरुपयोग मादक पदार्थों की तस्करी के लिए किया जा रहा है। फिर पीड़ितों को बिटकॉइन, सोना, उपहार कार्ड सहित विभिन्न तरीकों से पैसे भेजने के लिए मजबूर किया जाता था।
पुलिस की प्राथमिकी के आधार पर धन शोधन का मामला दर्ज करने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया कि इस गिरोह की आय को गुजरात में हवाला माध्यमों के जरिये भारतीय मुद्रा में परिवर्तित किया गया।
केंद्रीय एजेंसी ने केतव रवानी की पहचान पुणे स्थित कॉल सेंटर के कथित प्रमुख व्यक्ति के रूप में की, जो सह-आरोपी शेखावत का करीबी है।
ईडी के वकील ने अदालत को बताया कि आरोपी एजेंसी के समक्ष पेश नहीं हो रहे हैं और ‘अपराध से अर्जित आय का पता लगाने और उसे उजागर करने’ के लिए उनसे पूछताछ आवश्यक है।
याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि ‘गंभीर आर्थिक अपराध की प्रभावी जांच के हित में’ आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करना आवश्यक है।
भाषा संतोष अविनाश
अविनाश