(Maha Ashtami 2025, Image Credit: IBC24 News Customize)
रायपुर: Maha Ashtami 2025: शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर आज, मंगलवार 30 सितंबर 2025 को देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की विधिवत पूजा-अर्चना की जा रही है। भक्तगण मंदिरों और घरों में श्रद्धापूर्वक माता को भोग अर्पित कर रहे हैं। अष्टमी तिथि मां दुर्गा के आठवें रूप की अधिकाष्ठा देवी महागौरी को समर्पित है। इस दिन कन्या पूजन होती है। कई लोग कन्या पूजन के बाद अष्टमी के दिन ही व्रत भी खोलते हैं। मां महागौरी को सुंदरता, शुद्धता, शांति और दया की देवी कहा जाता है। मां महागौरी की पूजा से मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और समृद्धि में वृद्धि होती है।
मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी का रूप अत्यंत शुभ्र और तेजस्वी है। उनक वर्ण शंख, चंद्रमा और कुंद के फूल जैसा उज्जवल बताया गया है। वे श्वेत वस्त्र और आभूषण धारण करती है। पौराणिक कथा के अनुसार, तपस्या के कारण जब देवी पार्वती का शरीर काला पड़ गया था, तब भगवान शिव ने उन्हें गंगाजल से स्नान कराया। इसके बाद वे विद्युत प्रभा के समान चमकने लगीं और तभी से उन्हें ‘महागौरी’ कहा गया।
इस बार अष्टमी तिथि पर विशेष संयोग बन रहा है। शोभन योग आज दोपहर 1 बजकर 3 मिनट तक रहेगा, जो पूजा-पाठ के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलाव सुबह 6:17 बजे तक मूल नक्षत्र रहेगा और फिर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र लगेगा।
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:37 से 5:25 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11:47 से 12:35 तक।
कन्या पूजा का मुहूर्त- सुबह 10:40 से 12:10 तक।
इन मुहूर्तों में कन्या पूजन और महागौरी की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थल की साफ-सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें। अब मां महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर गंगाजल से अभिषेक करें। मां को लाल चंदन, कुमकुम, अक्षत, लाल फूल, लाल चुनरी आदि अर्पित करें। साथ ही फल, खीर का भोग और मिष्ठान भी चढ़ाएं। इसके बाद धूप-दीप जलाकर दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। मंत्र जाप करें और फिर आरती करें। दुर्गा अष्टमी के दिन कई लोग हवन भी कराते हैं।
मां महागौरी को दुर्गा अष्टमी के दिन नारियल का भोग जरूर लगाएं। इसके साथ ही हलवा, पुड़ी, काला चना और खीर का भोग भी लगा सकते हैं।
नवरात्रि में कन्या पूजन का बहुत महत्व है। माना जाता है कि बिना कन्या पूजन के नवरात्रि पूजा अधूरी रहती है। कन्याएं देवी दुर्गा और मां लक्ष्मी दोनों का प्रतीक मानी जाती हैं। अष्टमी या नवमी को व्रत खोलते समय भक्त कन्याओं को भोजन कराते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह पूजन सभी राशियों के लिए बेहद शुभ माना गया है।
ॐ देवी महागौर्यै नमः
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा
देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: