Mercury Pradosh fast : जिस तरह प्रत्येक माह के दोनों पक्षों में एकादशी का व्रत आता है, उसी तरह त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत रखा जाता है। एकादशी को पुण्यदायी व्रत माना गया है और प्रदोष को कल्याणकारी कहा गया है। इस समय भाद्रपद माह चल रहा है और 24 अगस्त दिन बुधवार को इस माह का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। लेकिन प्रदोष का आरंभ 23 अगस्त की रात से हो जाएगा। इस दिन पूजा-अर्चना और व्रत रहने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। बुधवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। माना जाता है कि कलयुग में महादेव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत सबसे खास व्रतों में से एक है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है। त्रयोदशी तिथि का व्रत सायंकाल के समय किया जाता है इसलिए इसे प्रदोष व्रत कहा जाता है।
Mercury Pradosh fast : भागवताचार्य और ज्योतिषी पंडित भरतलाल द्विवेदी ने बताया कि , प्रदोष व्रत अगर सोमवार को है तो उसे सोम प्रदोष व्रत, मंगलवार को है तो भौम प्रदोष व्रत और अगर बुधवार को है तो बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। बुध प्रदोष व्रत की उपासना मुख्य रूप से शिवजी की कृपा और संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और ग्रह दोषों का भी निवारण होता है। भगवान शिव का यह व्रत बहुत ही कल्याणकारी माना गया है कि इस व्रत से सांसारिक जीवन के सभी कष्ट व पाप आदि से भी मुक्ति मिलती है। महादेव और माता पार्वती की कृपा से जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। संतान की इच्छा रखने वाले जातक प्रदोष व्रत के दिन पंचगव्य से महादेव का अभिषेक करना चाहिए।
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि आरंभ- 23 अगस्त की समय 11 बजकर 38 मिनट रात से दोपहर 02 बजे तक
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त-24 अगस्त शाम 04 बजकर 30 मिनट
पूजा का शुभ मुहूर्त-शाम 04 बजकर 30 मिनट से रात्री08 बजकर 30 मिनट तक
Mercury Pradosh fast : पंडित भरतलाल द्विवेदी ने बताया कि बुध प्रदोष का आरंभ वैसे तो 23 अगस्त रात्रि 11 बजकर 38 मिनट से शुरू हो जाएगा लेकिन इसमें प्रदोष पुनर्वस में रहेगा। वहीं 24 अगस्त को दो बजे पुनर्वस समाप्त हो जाएगा जिसके बाद पुष्य नक्षत्र लग जाएगा। वहीं पंडित जी ने बताया कि यह दिन शिव जी को समर्पित होता है। इसी के साथ महिलाएं शिव के अतिरिक्त भगवान गणेश का भी पूजन करती है।
Mercury Pradosh fast : वहीं पंडित जी ने बताया कि इस दिन हरा रंग विशेषतौर पर लाभदायक होगा। जैसे महिलाएं पूजन के दौरान हरे रंग के वस्त्र पहन सकती है, हरे रंग की चूड़ियाँ पहन सकती है। वहीं अगर भोग की बात करें तो इस दिन हरे रंग का महत्व होने के कारण मूंग का भोग जैसे की मूंग के लड्डी और गणेश जी को दूर्वा अर्पित करने का विशेष महत्व है।
read more :गणेश चतुर्थी पर चमकने वाला है इन राशि वालों का भाग्य, नौकरी में तरक्की और धनलाभ
Mercury Pradosh fast : वहीं पंडित जी ने बताया कि , हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है और यह हर माह के दोनों पक्षों में प्रदोष व्रत रखा जाता है। एक शुक्ल और दूसरा कृष्ण पक्ष। इस तरह साल में 24 प्रदोष व्रत आते हैं। मान्यता है कि त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और सभी देवी-देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। ऐसे समय में जो भी जातक भगवान शिव की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। बुधवार के दिन प्रदोष व्रत के होने से कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होती है और सभी ग्रह-नक्षत्र का दोष दूर होता है।
read more :CG TET Exam 2022 : छत्तीसगढ़ शिक्षक पात्रता परीक्षा 2022 का नोटिफिकेशन जारी, देखें डेट