Mahesh Navami 2025: आज महेश नवमी पर बना अधि योग का संयोग, देवों के देव महादेव इन राशियों पर बरसाएंगे कृपा, इस स्त्रोत कर लें पाठ

Mahesh Navami 2025: आज महेश नवमी पर बना अधि योग का संयोग, देवों के देव महादेव इन राशियों पर बरसाएंगे कृपा, इस स्त्रोत कर लें पाठ

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  • Publish Date - June 4, 2025 / 06:32 AM IST,
    Updated On - June 4, 2025 / 06:34 AM IST

Mahesh Navami 2025/Image Credit: IBC24 File

HIGHLIGHTS
  • आज ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि
  • 4 जून को महेश नवमी मनाई जाएगी
  • आज का दिन मेष, तुला और मकर राशियों के लिए शुभ साबित होगा

Mahesh Navami 2025: आज ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। इसे महेश नवमी भी कहा जाता है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 03 जून को रात 09 बजकर 56 मिनट पर हो गई है। वहीं, इसका समापन- 04 जून को देर रात 11 बजकर 54 मिनट पर होगा। ऐसे में उदायतिथि के मुताबिक, 4 जून को महेश नवमी मनाई जाएगी। आज के दिन देवों के देव महादेव और जगतजननी मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही आज चंद्रमा और शुक्र एक दूसरे से छठे आठवें भाव में विराजमान होकर अधि योग का निर्माण करेंगे। ऐसे में आज का दिन मेष, तुला और मकर राशियों के लिए शुभ साबित होगा।

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महेश नवमी शुभ मुहूर्त (Mahesh Navami Shubh Muhurat)

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 3 जून को रात 9 बजकर 56 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 4 जून को रात 11 बजकर 54 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, महेश नवमी बुधवार, 4 जून के दिन मनाई जाएगी।

उमा महेश्वर स्तोत्र (Uma Maheshwara Stotra)

नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्याम्, परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम् ।
नागेन्द्रकन्यावृषकेतनाभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां सरसोत्सवाभ्याम्, नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम् ।
नारायणेनार्चितपादुकाभ्यां, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां वृषवाहनाभ्याम्, विरिञ्चिविष्ण्विन्द्रसुपूजिताभ्याम् ।
विभूतिपाटीरविलेपनाभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां जगदीश्वराभ्याम्, जगत्पतिभ्यां जयविग्रहाभ्याम् ।
जम्भारिमुख्यैरभिवन्दिताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां परमौषधाभ्याम्, पञ्चाक्षरी पञ्जररञ्जिताभ्याम् ।
प्रपञ्चसृष्टिस्थिति संहृताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यामतिसुन्दराभ्याम्, अत्यन्तमासक्तहृदम्बुजाभ्याम् ।
अशेषलोकैकहितङ्कराभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

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नमः शिवाभ्यां कलिनाशनाभ्याम्, कङ्कालकल्याणवपुर्धराभ्याम् ।
कैलासशैलस्थितदेवताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यामशुभापहाभ्याम्, अशेषलोकैकविशेषिताभ्याम् ।
अकुण्ठिताभ्याम् स्मृतिसम्भृताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां रथवाहनाभ्याम्, रवीन्दुवैश्वानरलोचनाभ्याम् ।
राकाशशाङ्काभमुखाम्बुजाभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां जटिलन्धरभ्याम्, जरामृतिभ्यां च विवर्जिताभ्याम् ।
जनार्दनाब्जोद्भवपूजिताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां विषमेक्षणाभ्याम्, बिल्वच्छदामल्लिकदामभृद्भ्याम्।
शोभावती शान्तवतीश्वराभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

नमः शिवाभ्यां पशुपालकाभ्याम्, जगत्रयीरक्षण बद्धहृद्भ्याम् ।
समस्त देवासुरपूजिताभ्याम्, नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥

स्तोत्रं त्रिसन्ध्यं शिवपार्वतीभ्याम्, भक्त्या पठेद्द्वादशकं नरो यः ।
स सर्वसौभाग्य फलानि भुङ्क्ते, शतायुरान्ते शिवलोकमेति ॥