Home » Religion » Garuda Purana: Described in the Garuda Purana, "Madhukasar," the ultimate weapon against fever! Learn the ancient Ayurvedic secret to eradicating fever completely!
Garuda Purana: गरुड़ पुराण में वर्णित, बुखार का अंतिम हथियार ‘मधुकसार’! जानें बुखार को जड़ से खत्म करने का प्राचीन आयुर्वेदिक रहस्य!
आज के प्रदूषित वातावरण में, जहां बुखार एक आम समस्या है, यह उपाय सस्ता, सरल और प्रभावी है। मधुकसार केवल एक औषधि नहीं, बल्कि गरुड़ पुराण के प्राचीन ज्ञान और आयुर्वेद की शक्ति का प्रतीक है। यह बुखार को हराने का एक सरल, प्राकृतिक और प्रभावी उपाय है।
Publish Date - November 3, 2025 / 01:46 PM IST,
Updated On - November 3, 2025 / 04:39 PM IST
Garuda Purana Ayurveda
HIGHLIGHTS
मधुकसार का काढ़ा, चूर्ण या सिरप, बुखार के लिए कौन सा रूप है सबसे प्रभावी?
Garuda Purana: गरुड़ पुराण, हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक, न केवल आध्यात्मिक और दार्शनिक शिक्षाओं का खजाना है, बल्कि यह स्वास्थ्य और रोग निवारण के लिए भी अनमोल उपाय प्रदान करता है। इस पुराण में भगवान विष्णु ने गरुड़ को जीवन, मृत्यु और स्वास्थ्य के रहस्य बताए हैं। इनमें से एक अनमोल रत्न है “मधुकसार”, जिसे बुखार (ज्वर) का रामबाण इलाज माना जाता है। आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित यह औषधि न केवल बुखार को जड़ से समाप्त करती है, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है।
गरुड़ पुराण में ज्वर (बुखार) को एक प्रमुख रोग के रूप में चित्रित किया गया है, जो वात, पित्त और कफ दोषों के असंतुलन से उत्पन्न होता है। इस पुराण के अनुसार, बुखार न केवल शारीरिक पीड़ा का कारण है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि का संकेत भी माना गया है।
आज के समय में, जहाँ मौसमी बुखार, वायरल फीवर, डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां आम हो गई हैं, मधुकसार एक प्राकृतिक, किफायती और सुरक्षित समाधान के रूप में उभरता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में भी इसका उल्लेख मिलता है, जहां इसे ‘मधु सार’ या ‘मधुक सार’ के रूप में वर्णित किया गया है। यह उपाय प्राकृतिक जड़ी-बूटियों पर आधारित है, जो बिना किसी दुष्प्रभाव के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। आइए जानते हैं क्या है ‘मधुकसार’ एवं इसके रहस्य को विस्तार से..
Garuda Purana: मधुकसार क्या है?
मधुकसार एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका आधार मधु (शहद) और विभिन्न जड़ी-बूटियों का सार (अर्क) है। ‘मधु’ शहद को और ‘सार’ औषधीय तत्वों के शुद्ध अंश को दर्शाता है। गरुड़ पुराण में इसे ‘ज्वर नाशक अमृत‘ कहा गया है, क्योंकि यह वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित कर बुखार के मूल कारण को समाप्त करता है। आयुर्वेद के अनुसार, बुखार तीन प्रकार का होता है: वातज (ठंड लगना), पित्तज (जलन) और कफज (कफ जमा होना)। इसके मुख्य तत्त्व हैं:
शहद: प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-ऑक्सीडेंट। यह शरीर को ऊर्जा देता है और पाचन को ठीक करता है।
मधुयष्टि (मुलेठी): गले की खराश, कफ और सूजन को कम करती है। इसमें ग्लाइसीराइजिक एसिड होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
तुलसी: वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन से लड़ती है। इसमें यूजेनॉल और अन्य तेल होते हैं, जो बुखार में राहत देते हैं।
अदरक: पाचन और रक्त संचार को बेहतर बनाता है, जिससे बुखार में ठंडक मिलती है।
गुड़ूची/नीम (वैकल्पिक): रक्त शोधक और इम्यूनिटी बूस्टर।
यह एक चूर्ण, काढ़ा या लेप के रूप में उपलब्ध होता है। बाजार में ‘मधुकसार चूर्ण’ के नाम से मिलता है, लेकिन घर पर बनाना अधिक शुद्ध और प्रभावी होता है।
Garuda Purana: ‘मधुकसार’ बनाने की सरल विधि
मधुकसार को घर पर बनाना बहुत ही आसान है। नीचे दी गई विधि 4-5 लोगों के लिए 7-10 दिनों की खुराक तैयार करती है।
सामग्री:
शुद्ध शहद (जंगल का या जैविक): 250 ग्राम
मुलेठी (मधुयष्टि) की जड़ का चूर्ण: 60 ग्राम
ताजा तुलसी के पत्ते: 30-35
अदरक का ताजा रस: 3 चम्मच
गुड़ूची चूर्ण (या नीम पाउडर): 25 ग्राम (वैकल्पिक)
शुद्ध जल: 600 मिली
हल्दी (वैकल्पिक): 1/2 चम्मच (पित्तज बुखार के लिए)
बनाने की विधि (स्टेप बाय स्टेप)
जड़ी-बूटियों की तैयारी: मुलेठी की जड़ को धोकर सुखाएं और बारीक चूर्ण बनाएं। तुलसी के पत्तों को धोकर काट लें। अदरक को कद्दूकस कर रस निकालें।
काढ़ा बनाएं: एक स्टील या मिट्टी के बर्तन में 600 मिली पानी उबालें। इसमें मुलेठी चूर्ण, तुलसी पत्ते, अदरक रस और गुड़ूची (या नीम) डालें। मध्यम आंच पर 20-25 मिनट तक उबालें, जब तक पानी 250 मिली रह जाए। इसे छानकर ठंडा करें। यह औषधीय ‘सार’ है।
शहद का मिश्रण: एक कांच के बर्तन में शहद लें। ठंडा किया हुआ काढ़ा धीरे-धीरे मिलाएं और चम्मच से हिलाएं, ताकि गाढ़ा सिरप बने। चूर्ण के लिए, सूखा मिश्रण (मुलेठी, गुड़ूची) शहद में मिलाएं।
संरक्षण: मिश्रण को कांच की बोतल में डालें और ठंडी जगह पर रखें। फ्रिज में 10-15 दिन तक ताजा रहता है।
गरुड़ पुराण में सुझाव दिया गया है कि औषधि को शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि या पूर्णिमा को बनाएं, क्योंकि चंद्रमा की ऊर्जा औषधि की शक्ति बढ़ाती है।
Garuda Purana: मधुकसार का उपयोग (बुखार को हराने का सही तरीका)
विशेष उपयोग बुखार के लिए
वातज बुखार (ठंड, कंपकंपी): मधुकसार को 1/2 चम्मच घी के साथ लें। यह शरीर को गर्मी देता है।
पित्तज बुखार (जलन, पसीना): नीम या हल्दी मिलाकर लें। ठंडे पानी के साथ सेवन करें।
कफज बुखार (बलगम, भारीपन): अदरक रस की मात्रा बढ़ाएं। माथे और छाती पर मधुकसार का लेप लगाएं।
मौसमी/वायरल बुखार: तुलसी की मात्रा बढ़ाकर दिन में 3 बार लें।
सामान्य बुखार में 24-36 घंटों में राहत मिलती है। गंभीर मामलों में 3-5 दिन तक नियमित उपयोग करें।
Garuda Purana: सुरक्षित उपयोग के लिए कुछ सावधानियां
मधुकसार एक प्राकृतिक और शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि है, जो गरुड़ पुराण में वर्णित बुखार नाशक उपाय के रूप में जानी जाती है। हालांकि यह पूरी तरह प्राकृतिक है, फिर भी इसके उपयोग में कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है ताकि इसका अधिकतम लाभ मिले और किसी भी प्रकार की हानि से बचा जा सके।
सबसे पहले, शहद, मुलेठी, तुलसी या अन्य तत्वों से एलर्जी की जांच अवश्य करें। इसके लिए मधुकसार की थोड़ी मात्रा त्वचा पर लगाकर 24 घंटे तक प्रतिक्रिया देखें।
गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं और डायबिटीज रोगी इसका सेवन बिना आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के न करें, क्योंकि अधिक शहद से रक्त शर्करा प्रभावित हो सकती है।
खुराक का विशेष ध्यान रखें; अधिक मात्रा में सेवन से पेट दर्द, दस्त या उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
यदि बुखार 3 दिन से अधिक रहे या डेंगू/मलेरिया जैसे लक्षण हों, तो तुरंत चिकित्सक से मिलें।
इन सावधानियों का पालन कर मधुकसार को सुरक्षित और प्रभावी ढंग से उपयोग करें ताकि बुखार और रोगों से शीघ्र राहत मिले।
मधुकसार एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो गरुड़ पुराण में बुखार नाशक के रूप में वर्णित है। यह शहद, मुलेठी, तुलसी और अदरक के मिश्रण से बनता है। इसके एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित करते हैं, जिससे बुखार, जुकाम और कमजोरी कम होती है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालकर इम्यूनिटी बढ़ाता है।
क्या मधुकसार घर पर बनाना सुरक्षित है?
हां, मधुकसार घर पर बनाना पूरी तरह सुरक्षित है, बशर्ते शुद्ध सामग्री (जैसे जैविक शहद, ताजी तुलसी) का उपयोग हो और साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए। इसे कांच के बर्तन में स्टोर करें और धातु की चम्मच से बचें। एलर्जी टेस्ट पहले करें और आयुर्वेदिक वैद्य की सलाह लें, खासकर गंभीर बुखार में।
क्या मधुकसार को अन्य दवाओं के साथ लिया जा सकता है?
सामान्य बुखार में मधुकसार अकेले प्रभावी है, लेकिन डेंगू, मलेरिया या अन्य गंभीर बुखार में एलोपैथी दवाओं के साथ इसे मिलाने से पहले डॉक्टर की सलाह लें। आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अनुसार, इसे सात्विक भोजन और सकारात्मक जीवनशैली के साथ लेने से सर्वोत्तम परिणाम मिलते हैं।