(2026 Chhath Puja Date/ Image Credit: IBC24 News Customize)
2026 Chhath Puja Date: छठ पूजा के अंतिम दिन व्रती परिवार सहित नदी, तालाब या घाट किनारे खड़े होकर सूर्योदय के समय जल अर्पित करते हैं। इसे उषा अर्घ्य कहा जाता है। सूर्यदेव को जीवन और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है, इसलिए इस अर्घ्य का विशेष महत्व है।
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों का उपवास टूटता है, जिसे पारण कहा जाता है। यह पल परिवार और समाज में नया उत्साह और आशीर्वाद का प्रतीक होता है। पारण के साथ ही चार दिन का यह लोक आस्था का पर्व समाप्त हो जाता है।
छठ ऐसा पर्व है जिसका हर बिहारवासी पूरे साल बेसब्री से इंतजार करता है। चाहे लोग देश-विदेश में कहीं भी हों, छठ आने पर वे अपने घर लौटने की कोशिश करते हैं। घाटों की सफाई, घरों में पवित्रता और भक्ति का माहौल इसे विशेष बनाते हैं। यही कारण है कि छठ बिहार की संस्कृति और आस्था की सबसे बड़ी शक्ति माना जाता है।
इस पर्व में शुद्धता, सात्त्विक भोजन, व्रत और आस्था का पालन जरूरी है। व्रती साधारण और सादे कपड़े पहनते हैं और पूरी भक्ति के साथ अनुष्ठान करते हैं।
छठ पूजा बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। घाटों और घरों की सजावट, भजन-कीर्तन और सामूहिक भक्ति इस पर्व की भव्यता को और बढ़ा देती है।