Mata Baglamukhi Mandir Nalkheda: यहां कौरवों पर विजय प्राप्त करने पांडवों ने की थी माता की पूजा, संतान प्राप्ति के लिए दीवारों पर बनाया जाता है स्वास्तिक

Mata Baglamukhi Mandir Nalkheda: यहां कौरवों पर विजय प्राप्त करने पांडवों ने की थी माता की पूजा, संतान प्राप्ति के लिए दीवारों पर बनाया जाता है स्वास्तिक

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  • Publish Date - October 23, 2023 / 02:20 PM IST,
    Updated On - October 23, 2023 / 02:20 PM IST

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Mata Baglamukhi Mandir Nalkheda: आगर मालवा। जिले के नलखेड़ा में एक ऐसा ही मंदिर है मां बगलामुखी काजहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.. जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर नलखेड़ा में लखुंदर नदी के तट पर विराजमान इस मंदिर का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। महाभारत काल से ही इस मंदिर का जिक्र होता आया है। पूरे विश्व में मां बगलामुखी के मात्र 3 मंदिर हैं.. पहला नेपाल , दूसरा दतिया तो तीसरा नलखेड़ा.. नवरात्रि में यहां भक्तों की गजब की भीड़ देखने को मिलती है। यहां बड़े-बड़े राजनेता और अभिनेता भी मां के दर्शन के लिए आते हैं।

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उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर सौ किलोमीटर दूर ईशान कोण में आगर मालवा जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर नलखेड़ा में लखुंदर नदी के तट पर पूर्वी दिशा में मां बगलामुखी विराजमान हैं। कहा जाता है कि नेपाल और दतिया में ‘श्रीश्री 1008 आद्य शंकराचार्य’ जी द्वारा मां की प्रतिमा स्थापित की गई है, जबकि नलखेड़ा में मां पीतांबर रूप में शाश्वत काल से विराजित है. प्राचीन काल में यहां बगावत नाम का गांव हुआ करता था. यह विश्व शक्ति पीठ के रूप में भी प्रसिद्ध है।

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मां बगलामुखी की उपासना से माता वैष्णो देवी और मां हरसिद्धि के समान ही धन और विद्या की प्राप्ति होती है. सोने जैसे पीले रंग वाली, चांदी के जैसे सफेद फूलों की माला धारण करने वाली, चंद्रमा के समान संसार को प्रसन्न करने वाली, इस त्रिशक्ति का दिव्य स्वरूप अपनी ओर आकर्षित करता है. सूर्योदय से पहले ही सिंह मुखी द्वार से प्रवेश के साथ ही भक्तों का मां के दरबार में हाजिरी लगाना और मुराद मांगने का सिलसिला अनादी काल से चला आ रहा है।

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