Shradh Paksha 2023: श्राद्ध में क्यों किया जाता है मां लक्ष्मी का पूजन, जानें क्या है मान्यता…

Rain of wealth with the grace of Goddess Lakshmi on Shraddha Paksha शास्त्रों में पितृपक्ष के दौरान सभी शुभ कार्य वर्जित कहे गए हैं।

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  • Publish Date - October 3, 2023 / 12:10 PM IST,
    Updated On - October 3, 2023 / 12:10 PM IST

Pitru Paksha 2025 Date/Image Credit: IBC24 File Photo

Goddess Lakshmi on Shraddha Paksha: शास्त्रों में पितृपक्ष के दौरान सभी शुभ कार्य वर्जित कहे गए हैं। पितृपक्ष की समयावधि में नई वस्तुओं को खरीदना, नए कपड़े पहनना विवाह, नामकरण, गृहप्रवेश आदि जैसे काम भी वर्जित माने गए हैं परंतु पितृपक्ष के इन दिनों में अश्विन कृष्णपक्ष की अष्टमी का दिन विशिष्ट रूप से शुभ माना गया है। पितृपक्ष में आने वाली अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी जी का वरदान प्राप्त है।

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पूरे पितृपक्ष में एक मात्र अष्टमी तिथि ही ऐसी है जिस दिन जरूरत पड़ने पर सोना खरीदा जा सकता है तथा आवश्यकता पड़ने पर शादी की खरीदारी हेतु भी यह तिथि उपयुक्त मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन हाथी पर सवार माता लक्ष्मी के गजलक्ष्मी रूप की पूजा-अर्चना कर उनका व्रत किया जाता है। शास्त्रों में अश्विन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी कहकर संबोधित किया जाता है।

क्यों करते हैं श्राद्धपक्ष में महालक्ष्मी पूजन

सनातन धर्म में शब्द महालय का अर्थ है पितृ और देव मातामह की युति का पूजन है। शास्त्रों ने मूलरूप से अश्विन मास के दोनों पक्ष पितृ और देवी पूजन के लिए व्यवस्थित किए हैं। महालय को पितृ पक्ष की समाप्ति और देवी पक्ष के प्रारम्भ का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि आदिशक्ति के लक्ष्मी रूप में महालय काल के दौरान पृथ्वी पर अपनी यात्रा समाप्त कर पुनः अश्विन शुक्ल एकम नवरात्र स्थापना से अपनी यात्रा प्रारंभ करती हैं।

अतः इसी दिन महालक्ष्मी के वर्ष भर रखे जाने वाले व्रत की समाप्ति होती है तथा महालय के एक हफ्ते बाद दुर्गा पूजा आरम्भ होती है अर्थात सरल शब्दों में महालय पितृगण और देव गण को जोड़ने वाली कड़ी है तथा देव कृपा के बिना पितृत्व को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। इस दिन अष्टमी तिथि का श्राद्ध पूर्ण करके अपने जीवित पुत्र की सफलता हेतु लोग कालाष्टमी का व्रत करके महालक्ष्मी व्रत को पूर्ण करते है तथा शास्त्रों में इस अष्टमी को अशोकाष्टमी कहकर संबोधित किया जाता है। जिस अष्टमी का व्रत करने पर शोक अर्थात दुख से निवृत्ति मिले उसे ही शास्त्रों में अशोकाष्टमी कहा गया है।

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इन आठ मंत्रों का करें जाप

Goddess Lakshmi on Shraddha Paksha: प्रदोषकाल के समय स्नान कर घर की पश्चिम दिशा में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर केसर मिले चन्दन से अष्टदल बनाकर उस पर चावल रख कर जल से भरा कलश रखें। कलश के पास हल्दी से कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति प्रतिष्ठित करें। मिट्टी का हाथी बाजार से लाकर या घर में बना कर उसे स्वर्णाभूषणों से सजाएं। नया खरीदा सोना हाथी पर रखने से पूजा का विशेष लाभ मिलता है। माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें। कमल के फूल से पूजन करें। इसके अलावा सोने-चांदी के सिक्के, मिठाई, फल भी रखें। इसके बाद माता लक्ष्मी के आठ रूपों की इन मंत्रों के साथ कुंकुम, अक्षत और फूल चढ़ाते हुए पूजा करें।

मंत्र: ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:।
ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:।
ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:।
ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:।
ॐ कामलक्ष्म्यै नम:।
ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:।
ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:।
ॐ योगलक्ष्म्यै नम:।।

 

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