रायपुर: shani ki sade sati ke upay पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि शनि महाराज भगवान सूर्य और उनकी दूसरी पत्नी छाया के पुत्र हैं। बताया जाता है कि एक बार गुस्से में सूर्यदेव ने अपने ही पुत्र शनि को शाप देकर उनके घर को जला दिया था। इसके बाद सूर्य को मनाने के लिए शनि ने काले तिल से अपने पिता सूर्य की पूजा की तो वह प्रसन्न हुए। इस घटना के बाद से तिल से शनिदेव और उनके पिता की पूजा होने लगी।
shani ki sade sati ke upay शनि ढाई साल बाद एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, लेकिन किसी राशि में शनि का पुनः गोचर 30 साल बाद होता है, यानी राशिचक्र को पूरा करने में शनि को 30 साल का समय लगता है। अब शनि 30 साल बाद स्वयं की दूसरी राशि कुंभ में गोचर करने जा रहे हैं। अभी तक वह स्वयं की पहली राशि मकर में गोचर कर रहे हैं।
विज्ञान, तकनीक, लोहा, कर्मचारी, सेवक के कारक ग्रह माने जाने वाले शनि नए साल की शुरुआत में 17 जनवरी 2023 को शाम 05 बजकर 04 मिनट पर स्वयं की राशि मकर से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करेंगे और पूरे वर्ष इसी राशि में बने रहेंगे। पंचांग के अनुसार, शनि ग्रह का ये राशि परिवर्तन माघ माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर होगा। 30 जनवरी 2023 की प्रातः 12 बजकर 02 मिनट से 6 मार्च रात्रि 11 बजकर 36 मिनट तक वह अस्त अवस्था में रहेंगे। इसके बाद 17 जून 2023 को रात्रि 10 बजकर 48 बजे से वह वक्री हो जाएंगे और 4 नवंबर 2023 को प्रातः काल 08 बजकर 26 मिनट पर एक बार फिर से मार्गी अवस्था में आ जाएंगे।
कुंभ राशि में प्रवेश के साथ ही धनु राशि के जातकों को शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव से पूर्ण रूप से मुक्ति मिलेगी और मकर राशि के जातकों का साढ़ेसाती का द्वितीय चरण समाप्त होकर तृतीय चरण शुरू हो जाएगा। कुंभ राशि के जातकों का प्रथम चरण समाप्त होगा और दूसरा चरण शुरू होगा तथा मीन राशि के जातकों के लिए शनि साढ़ेसाती का प्रथम चरण प्रारंभ हो जाएगा।
शनि दोषों से छुटकारा पाने के लिए शनिवार का दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है. कोशिश करें कि इसी दिन उपाय करें, ताकि ज्यादा से ज्यादा फल मिले
शनि के प्रकोप से निजात पाने का अच्छा तरीकी है कि हनुमान जी की शरण में चले जाएं
संकटमोचन हनुमान की कृपा तमाम संकटों से बचाती है, इसके लिए रोजाना हनुमान चालीसा पढ़ें खासतौर पर मंगलवार और शनिवार को हनुमान
मंदिर में जाकर उन्हें प्रसाद चढ़ाएं साथ ही सुंदरकांड का पाठ करें
शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की उपासना करना अच्छा उपाय है। इसके लिए नियमपूर्वक शिव सहस्त्रनाम या शिव के पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करें। इससे जीवन की सारी बाधाएं दूर हो जाएंगी।
ज्योतिषशास्त्र में शनि की दशा में शनि पत्नी का नाम मंत्र जपना भी शनि का एक उपाय माना गया है। इसकी कथा यह है कि एक समय शनि पत्नी ऋतु स्नान करके शनि महाराज के पास आई। लेकिन अपने ईष्ट देव श्रीकृष्ण के ध्यान में लीन शनि महाराज ने पत्नी की ओर नहीं देखा। क्रोधित होकर पत्नी ने शाप दे दिया था।
भगवान श्रीकृष्ण को शनिदेव का इष्ट माना जाता है। मान्यता है कि अपने इष्ट का एक दर्शन पाने को शनिदेव ने कोकिला वन में तपस्या की थी। शनिदेव के कठोर तप से प्रसन्न होकर श्रीकृष्णजी ने कोयल के रूप में दर्शन दिए। तब शनिदेव ने कहा था कि वह अब से कृष्णजी के भक्तों को परेशान नहीं करेंगे।
ऐसा कहा जाता है कि हनुमानजी के दर्शन और उनकी भक्ति करने से शनि के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं। जो लोग हनुमानजी की नियमित रूप से पूजा करते हैं, उन पर शनि की ग्रहदशा का खास प्रभाव नहीं पड़ता है।
शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि जो पिप्लाद मुनि का नाम जपेगा और पीपल की पूजा करेगा, उस पर शनिदशा का अधिक प्रभाव नहीं होगा।
पिता सूर्यदेव के कहने पर शनिदेव को बचपन में एक बार सबक सिखाने के लिए शिवजी ने उन पर प्रहार किया था। शनिदेव इससे बेहोश हो गए तो पिता के विनती करने पर शिवजी ने वापस उन्हें सही किया। तब से मान्यता है कि शनिदेव शिवजी को अपना गुरु मानकर उनसे डरने लगे हैं। शनि देव की पत्नी नीला और मंदा है, इनके नामोच्चार से भी कल्याण होता है।