Shitla Sashti 2024: संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं जरूर रखें ये व्रत, भर जाएगी सूनी गोद

Shitla Sashti 2024: इस दिन है शीतला षष्ठी, संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं जरूर रखें व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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  • Publish Date - February 16, 2024 / 05:27 PM IST,
    Updated On - February 16, 2024 / 05:28 PM IST

Shitla Sashti 2024: हर साल माघ मास में शुक्ल पक्ष की छठ तिथि को शीतला षष्ठी मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है। माता शीतला देवी अपने भक्तों को संतानवान बनाती हैं। इसके साथ ही वह संतान को रोग मुक्त कर स्वस्थ रहने का वरदान देती हैं। कुछ स्थानों पर इसे बसि चौरा के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस अगर कोई निःसंतना है और ये व्रत रखती हैं तो उसकी छोली जल्द भर जाती है। अगर आप भी संतान के सुख से वंचित हैं या संतान के स्वस्थ रहने का वरदान चाहती हैं तो ये व्रत जरूर रखें।

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शीतला षष्ठी का महत्व

मान्यता है कि इस व्रत को करने से दैहिक एवं दैविक ताप से मुक्ति मिलती है। मन को शांति प्राप्त होती है। शीतला माता की आराधना से घर में सुख-शांति बरकरार रहती है। यह भी मान्यता है कि यदि कोई महिला संतान प्राप्ति की कामना से यह व्रत रखते हुए माता शीतला की विधि-विधान से पूजा करे तो मां की कृपा से उसकी यह चाह पूरी होती है। रोग-विकार से मुक्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है।

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शीतला षष्ठी के उपाय

  • शीतला षष्ठी व्रत में स्त्रियां प्रातः जल्दी उठकर ठंडे पानी से स्नान करके माता शीतला की पूजा करती है।
  • इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलता है बल्कि चूल्हे की पूजा की जाती है।
  • माता शीतला को शीतल यानी ठंडी चीजें/ भोग बहुत पसंद हैं इसलिए उन्हें इस दिन ठंडा भोग ही लगाया जाता है।
  • इस दिन शीतला माता का विधिपूर्वक पूजन करने के पश्चात शीतला षष्ठी माता की कथा पढ़ने या सुनने का अधिक महत्व है।
  • इस दिन इस मंत्र का जाप करें – ‘श्रीं शीतलायै नम:, इहागच्छ इह तिष्ठ’।
  • व्रतधारी महिलाएं इस दिन रात्रि का रखा बासी भोजन ही करती है।
  • यदि कोई स्त्री संतान सुख की कामना से शीतला षष्ठी के दिन पूरे विधि-विधान से शीतला माता का व्रत-पूजन करती है, तो निश्चित ही वह शीतला माता के आशीर्वाद से संतान प्राप्त करती है।

माता को लगाएं बासी खाने का भोग

इस दिन सुबह स्नानादि नित्यकर्म से निवृत्त होने के बाद शीतला माता का विधि विधान से पूजन करना चाहिए। इस दिन देवी को बासी भोजन का भोग लगाकर बासी भोजन ही खाया जाता है।

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