Tulsi Puja : तुलसी पूजा पर आज चुपके कर लें ये छोटा-सा काम, लक्ष्मी जी पलभर में बरसाएंगे धन!

Tulsi Puja Mantra : शास्त्रों के अनुसार आज के दिन तुलसी विवाह कराने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है

  •  
  • Publish Date - November 4, 2022 / 11:46 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 04:30 AM IST

धर्म। Tulsi Puja Mantra  : तुलसी विवाह हर साल कार्तिक शुक्ल की एकादशी तिथि को किया जाता है। पंचांग के अनुसार इस साल तुलसी विवाह 5 नवंबर के दिन किया जाएगा। इस बार देवउठनी एकादशी 4 नवंबर और तुलसी विवाह 5 नवंबर के दिन किया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु के विग्रह रूप शालीग्राम के साथ तुलसी जी का विवाह किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार आज के दिन तुलसी विवाह कराने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है।

यह भी पढ़ें:  तुलसी विवाह पर इन राशियों को होगा शानदार लाभ, छप्पर फाड़ कर बरसेगा धन

प्रबोधनी एकादशी, तुलसी विवाह भीष्म पंचक

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को प्रबोधनी या देवउठनी, तुलसी विवाह एवं भीष्म पंचक एकादशी के रूप में मनाई जाती है।

देवात्थान एकादशी –

Tulsi Puja Mantra  :  माना जाता है कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए क्षीर सागर में शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को शयन से जगते हैं। अतः इन चार माह में कोई भी मांगलिक कार्य संपन्न नहीं किए जाते। विष्णुजी के जागरण के उपरांत कार्तिक मास की एकादशी को प्रबोधनी या देवत्थान एकादशी के तौर पर मनाया जाता है। इसमें दीपदान, पूजन तथा ब्राम्हणभोज कराकर दान से धन-धान्य, स्वास्थ्य में लाभ होता है।

यह भी पढ़ें:  ‘…हर स्कुल में उर्दू शिक्षक बहाल करने की मंशा’, PM मोदी पर वार का नीतीश को बीजेपी का करारा जवाब

तुलसी विवाह

Tulsi Puja Mantra  : कार्तिक मास में पूरे माह दीपदान तथा पूजन करने वाले वैद्यजन एकादशी को तुलसी और शालिग्राम का विवाह रचाते हैं। समस्त विधि विधान से विवाह संपन्न करने पर परिवार में मांगलिक कर्म के योग बनते हैं ऐसी मान्यता है।

यह भी पढ़ें:  घर में इस हालत में मिली युवती, बहन ने दोनों भाइयों पर लगाया ऐसा आरोप

भीष्म पंचक

कहा जाता है कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को जब महाभारत युद्ध समाप्त हुआ किंतु भीष्म पितामह शरशया पर सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। तब श्री कृष्ण पाच पांडवों को लेकर मिलने गए। उपयुक्त समय जानकर युधिष्ठिर ने पितामह से प्रार्थना की आप राज्य संबंधी उपदेश कहें, तब भीष्म ने पांच दिनों तक राजधर्म, वर्णधर्म, मोक्षधर्म आदि पर उपदेश किया। जिसे सुनने से संतुष्ट श्री कृष्ण ने पितामह से वादा किया अब के बाद जो भी इन पांच दिनों तक उॅ नमो वासुदेवाय के मंत्र का जाप कर पांच दिनों तक व्रत का पालन करते हुए उपदेश ग्रहण करेगा तथा अंतिम दिन में तिल जौ से हवन कर संकल्प का पारण करेगा, उसे सभी सुख तथा मोक्ष की प्राप्ति होगी, जो कि भीष्म पंचक के नाम से जाना जायेगा। तब से इस विधान को नियम से करने वालों को जीवन के कष्ट समाप्त होकर सुख की प्राप्ति होती है।

तुलसी माता का स्तुति मंत्र

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः,
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

मां तुलसी का पूजन मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

और भी है बड़ी खबरें…