Publish Date - May 10, 2025 / 12:26 AM IST,
Updated On - May 10, 2025 / 12:26 AM IST
India Pakistan War | Photo Credit: IBC24
HIGHLIGHTS
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान की आतंकियों को समर्थन देने वाली नीतियों को उजागर किया है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने सवाल उठाया—अगर मारे गए लोग आम नागरिक थे, तो उन्हें राजकीय सम्मान क्यों दिया गया?
पाकिस्तानी सेना के अधिकारी आतंकियों के जनाजे में शामिल होकर उन्हें नेशनल हीरो बना रहे हैं।
नई दिल्ली: India Pakistan War पाकिस्तान के और भी कई झूठ है जिन्हें भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की मदद से बेनकाब किया है। पाकिस्तान में आतंकवादियों को ना केवल सेना का फुल सपोर्ट मिलता है। बल्कि पाकिस्तान उन्हें नेशनल हीरो की तरह सम्मान भी देता है।
India Pakistan War भारत के एक फिर पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेनकाब कर दिया। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये सवाल पूछा की अगर भारत की स्ट्राइक में आम लोग मारे जा रहे हैं तो पाकिस्तान उनका राजकीय सम्मान के साथ जनाजा क्यों निकाल रहा है? मारे गए आतंकियों के ताबूत पाकिस्तान के झंडे में लिपटे हैं। जनाजे में पाकिस्तानी सेना के अधिकारी तक शरीक हो रहे है। पाकिस्तान का दावा है कि भारत के ऑपरेशन सिंदूर में आम पाकिस्तानियों की मौत हुई है। अगर ऐसा है कि तो उनका राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार उसे ही कटघरे में खड़ा कर रहा है। विक्रम मिस्त्री ने तंज कसा की आतंकियों को स्टेट ऑनर देना पाकिस्तान में प्रथा सी बन गई है।
साफ है कि पाकिस्तान आतंकवादियों और सैनिकों में कोई फर्क करता है। बल्कि आतंकी सेना के सहयोगी बनकर भारत के खिलाफ छद्धम युद्ध छेड़े हुए है। जिनके खिलाफ भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए इस नापाक गठजोड़ को उजागर किया है।
"ऑपरेशन सिंदूर" भारत द्वारा आतंकवाद के खिलाफ शुरू किया गया एक जवाबी सैन्य अभियान है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करना है।
पाकिस्तान आतंकवादियों को राजकीय सम्मान क्यों दे रहा है?
भारत के अनुसार, पाकिस्तान मारे गए आतंकियों को हीरो की तरह दिखाकर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। ताबूतों को राष्ट्रीय झंडे में लपेटना इसका प्रमाण है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने पाकिस्तान के किस झूठ को बेनकाब किया?
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल उठाया कि अगर भारत की कार्रवाई में आम लोग मारे गए थे, तो उन्हें सेना के अधिकारियों की मौजूदगी में राजकीय सम्मान क्यों दिया गया?