मुंबई छोड़ने के लिए मजबूर किए जा रहे किन्नर के बचाव में आया उच्च न्यायालय

मुंबई छोड़ने के लिए मजबूर किए जा रहे किन्नर के बचाव में आया उच्च न्यायालय

  •  
  • Publish Date - July 17, 2021 / 05:42 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:16 PM IST

मुंबई, 17 जुलाई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने शनिवार को मुंबई पुलिस से यह सुनिश्चित करने को कहा कि शहर में रह रहे कर्नाटक के एक वयस्क किन्नर व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके माता-पिता के साथ लौटने के लिए मजबूर नहीं किया जाए।

न्यायमूर्ति शंभाजी शिंदे और निजामुद्दीन जमादा की पीठ ने कहा कि किन्नर भी इस देश के नागरिक हैं और उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।

उच्च न्यायालय मैसूर के रहने वाले एक किन्नर व्यक्ति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जो कोरियोग्राफर बनने की इच्छा लेकर मुंबई आया है। याचिका में उस व्यक्ति ने अपने माता-पिता और पुलिस के खिलाफ सुरक्षा की मांग की है।

याचिकाकर्ता के वकील विजय हीरेमठ ने अदालत को बताया कि उसके माता-पिता मैसूर पुलिस के अधिकारियों के साथ मुंबई आए थे और उसे वापस अपने साथ ले जाने की मांग कर रहे थे। इसके बाद उपनगर वर्सोवा में रह रहे उस व्यक्ति को पुलिस ने मुंबई छोड़ने के लिए कहा।

न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा, ” कोई भी वयस्क व्यक्ति अपने जीवन से संबंधित निर्णय खुद ले सकता है और जहां चाहे वहां रह सकता है। कोई भी उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध शहर छोड़ने के लिए नहीं कह सकता, कम से कम ऐसे तो बिल्कुल नहीं।”

उच्च न्यायालय ने वर्सोवा पुलिस को याचिकाकर्ता को मुंबई छोड़ने के लिए मजबूर करने से बचाने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई छह अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।

भाषा

रवि कांत दिलीप

दिलीप