एक समय बेतवा मे कल कल बहता जल विदिशा की पहचान होता था लेकिन आज बेतवा का जल इतना प्रदुशित है की इसे पीना तो दूर , नहाने के लायक भी नही बचा है. किवदन्तिया इस बात की गवाह है की बेतवा के जल कलयुग में पापांे का हरण करने वाला माना जाता था. मगर आज यही जल बीमारिया बाँट रहा है. बेतवा में प्रदुषण का प्रमुख कारण विदिशा की सारी गंदगी का इस नदी मे मिलना है. चोरघाट नाला आज प्रदुशण का सबसे बडा कारक है. बेतवा और जिले की अन्य नदियो से अवैध उत्खनन जोरो पर है।
इतिहास के पन्नो मे भरत की व्यापरिक राजधानी रहा विदिशा आज उद्योग धन्धांे मंे काफी पिछड गया है. यह सही है कि विदिशा के पीतलमील चैराहे नामक औद्योगिक क्षेत्र मंे छोटे छोटे लघू उद्योग चल रहे और जम्म्बार बागरी एक नया ओद्योगिक क्षेत्र बन रहा है, लेकिन ये ओद्योगिक इकाइया विदिशा की बेरोजगारी दूर करने मे नाकाफी है और युवा यहा से पलायन कर रहे है. विदिशा के गेन्हूखेडी मे डीजल रेल इंजन के लोकोमोटिव अल्टरनेटर का कारखाना स्थापित हो रहा है , मगर इस से कितना स्थानिय रोजगार पैदा यह समय के गर्त मे छिपा है।
विदिशा शहर की बदहाल सडके यहा की एक भीषन समस्या है. शहर तंगहाल गलियो मे तब्दील हो चुका है. अतिक्र्मण, पार्किंग की व्यवस्था ना होना तो एक कारण है ही. आवारा पशुओ से भी विदिशा की सड़के भरी पडी रहती है. विदिशा का बीमार जिला अस्पताल एक तरह से सर्फ मरीजो का रेफरल सेंटर बन कर रह गया है. एक तरफ डाक्टरो की कमि तो दूसरी तरफ अस्पताल मे गंदगी और सुविधाओ की कमी है. विदिशा मे सरकारी मेडिकल कालेज का निर्नाण कार्य जारी है. ठलजम,….. शहर के कुछ इलाको मे भीषण पेयजल संकट है तो वही विदिशा मे बढता अपराध भी एक समस्या है।