सागर पहुंचा नर्मदा-चम्बल जनकारवां, जनता ने बताई समस्याएं

सागर पहुंचा नर्मदा-चम्बल जनकारवां, जनता ने बताई समस्याएं

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  • Publish Date - May 28, 2017 / 01:23 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:31 PM IST

 

डॉक्टर हरीसिंह गौर, महाकवि पदमाकर और लाखा बंजारा की नगरी कहे जाने वाले सागर में जब आईबीसी24 की नर्मदा चम्बल जनकारवां यात्रा ने प्रवेश किया तो लोगों ने इस आशा और उम्मीद में हमारा भव्य स्वागत किया कि जनकारवां के मंच से दशकों पुरानी उनकी समस्याएं सरकार के कानों तक पहुंचेंगी। हमने पाया कि बुंदेलखंड का ये अहम जिला सागर आज प्रदेश के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव का गृह जिला होने के बावजूद कई मूलभूत समस्यायों से जूझ रहा है। 

1- जलसंकट – यूं तो अपने नाम के मुताबिक शहर के बीचों बीच विशाल तालाब लिए सागर में जलसंकट नहीं होना चाहिए लेकिन हकीकत कुछ और है। जिला मुख्यालय में स्थित विशाल सागर आज तालाब गम्भीर रूप प्रदूषित हो चुका है। जहरीले हुए प्रदूषण का अंदाजा तालाब में तैरते मछलियों और पक्षियों के शवों को देखकर लगाया जा सकता है। बीते 3 दशकों से सागर तालाब में पदूषण यहां राजनैतिक मुद्दा रहा है लेकिन आज भी तालाब में गन्दे नालों ओर सीवर का पानी , अस्पतालों का बायो मेडिकल वेस्ट सीधा बहाया जा रहा है। सागर नगर निगम ने जनता की मांग के खिलाफ कभी सागर तालाब के शुद्धिकरण की कार्यवाई नहीं की। इसे सागर की जनता का दुर्भाग्य ओर नगर सत्ता की नाकामी ही माना जायेगा कि यूपीए शाशनकाल में राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना के तहत सागर तालाब के लिए 24 करोड़ रुपयों की राशि तो जारी हुई लेकिन इसका इस्तेमाल न किये जाने से राशि लैप्स हो गई। कभी बुन्देलखण्ड अंचल में सागर की शान हुआ करने वाली बेबस,धसान ओर सुनार नदियां आज गम्भीर प्रदूषण का शिकार हैं जो गर्मियों में सूख कर जलसंकट का सबब बन जाती हैं। सागर नगर निगम बेबस नदी से शहर में जलापूर्ति करती है लेकिन नदी का जलस्तर घटने से फिलहाल 2 दिन में एक बार ही जलापूर्ति हो पा रही है। नगर निगम पानी की आपूर्ति के लिए पाइप लाइन भी सही ढंग से नही बिछा पाई है जिससे पूरे शहर में जलापूर्ति नही हो पाती। ग्रामीण क्षेत्र में जलसंकट के हालात भयावह नजर आते हैं। यहां चालू की गईं नलजल योजनाएं भृष्टाचार ओर लापरवाही की भेंट चढ़ चुकी हैं, ग्रामीण पीने के पानी के लिए परेशान होते नजर आते हैं और किसान सूखे से हलाकान। मंत्री गोपाल भार्गव के निर्वाचन क्षेत्र रहली में जलस्तर खतरनाक रूप से नीचे जा चुका है और जनता पानी पाने परेशान है। 

.2- बेरोजगारी – जलसंकट के बाद बुन्देलखण्ड की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी भी सागर में बरकरार नजर आती है। जिले में बीना रिफायनरी को छोड़ कर कोई बड़ा उद्योग स्थापित नही किया गया जिससे युवा बेरोजगार हैं। जिले की बंडा तहसील में उच्च गुणवत्ता के फ्लोरिंग स्टोन की खदान हैं लेकिन यहां कोई प्रोसेसिंग यूनिट न लगाएं जाने से पूरा कच्चा माल प्रदेश से बाहर निर्यात हो जाता है और स्थानीय रोजगार पैदा नही हो पाते। बंडा इलाके में अवैध खनन की समस्या भी जोरो पर है। 25 साल पहले जिले में चनाटोरिया औद्योगिक क्षेत्र तो बनाया गया है लेकिन आज यहां कोई इंडस्ट्री काम नहीं कर रही है। कभी बीड़ी उद्योग से घर घर मे दिहाड़ी मजदूरी जैसा रोजगार मिलता था लेकिन ये काम भी आत्ज बंद हो गया। बेरोजगारी के चलते सागर में भी पलायन की समस्या समाज की चिंता का बड़ा विषय है। 

3- शिक्षा-स्वास्थ्य- यूं तो सागर में केंद्रीय विश्वविद्यालय डॉ हरीसिंह गौर यूनिवर्सिटी ओर बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज स्थापित है लेकिन इनका फायदा यहां की जनता को नहीं मिल पा रहा। केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद डॉ हरीसिंह गौर यूनिवर्सिटी में देश भर के छात्र तो दाखिल लेते हैं लेकिन कट ऑफ ओर कॉम्पटीशन ज्यादा होने के चलते सागर के ही औसत छात्रों को इसमें प्रवेश नहीं मिल पाता। यूनिवर्सिटी भी इसके संस्थापक डॉ हरीसिंह गौर के सपनो के खिलाफ आज भृस्टाचार के कठघरे में खड़ी नजर आती है। यहां हुए कम्प्यूटर घोटाले ओर प्रोफेसर भर्ती घोटालो की सीबीआई जांच आज तक जारी है। वहीं बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज में विशेषज्ञ डॉक्टर्स ओर पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति न किये जाने से लोग बेहतर इलाज के लिए भोपाल का रुख करने को मजबूर होते हैं। ग्रामींन अंचल में डॉक्टर्स की कमी और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली से लोग परेशान हैं । जिले के 30.5 फीसदी बच्चे कुपोषण की राह पर औसत वजन से नीचे हैं। जिले में लिंगानुपात चिंताजनक रूप से सिर्फ 893 है जबकि शिशु मृत्यु दर 70 है।

4- शहरी विकास… पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव का गृह जिला होने के बाद भी जहां विकास ग्रामीण अंचल के लिए आज भी एक लक्ष्य बना हुआ है वहीं सागर शहर भी मूलभूत सुविधाओं की बाट जोह रहा है। शहर की तंग गलियों में अतिक्रमण से रोजाना ट्रैफिक जाम होता है। बरसो पहले मालगोदाम और ट्रांसपोर्ट नगर बसाने का किया गया वादा आत्ज तक पूरा नही किया गया जिससे शहर के भीतर घुसने वाले भारी वाहन आय दिन जानलेवा हादसों को अंजाम देते हैं। नगर निगम आज तक प्रदूषण फैला रही डेयरियों को भी शहर से बाहर विस्थापित नहीं करवा पाया है। खेल स्टेडियम का इस्तेमाल नगर निगम द्वारा अपने वाहनों की पार्किंग के लिए किए जाने से खिलाड़ियों में निराशा है। बुंदेली लोक संस्कृति को सहेजने के लिए भी निगम या शाषन स्तर पर प्रयास न होने से कलाकार वर्ग हताश है।

5- भ्रस्टाचार- सागर की जनता में सरकारी योजनाओं में भस्टाचार को लेकर भी खासी नाराजगी है। खुद सागर से भाजपा विधायक शैलेन्द्र जैन ने शौचालय निर्माण में भृस्टाचार के आरोप लगाकर सनसनी फैला दी है। विधायक ने शहर में 5200 शौचालयों में से अधिकांश कागजों पर बनाये जाने और निर्माण में घोटाला होने की शिकायत नगर निगम से की है। निगम की ही आवास योजनाओ में भ्रस्टाचार से इनका लाभ निम्न आय वर्ग तक नही पहुंच पा रहा है। यूपीए शासनकाल में जारी हुए बुन्देलखण्ड राहत पैकेज के तहत कोई जमीनी काम नजर ना आने से लोगों में आक्रोश है।