राखी बांधने का इंतजार, तिरंगे में लिपटा आया भाई

राखी बांधने का इंतजार, तिरंगे में लिपटा आया भाई

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  • Publish Date - August 8, 2017 / 04:21 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:38 PM IST

 

बलौदाबाज़ार: राखी के एक दिन पहले उस वर्दीवाले भाई ने नक्सलियों की सर्चिंग पर निकलने से पहले अपनी बहन से मोबाइल पर बात की और कहा कि वो राखी बंधवाने किसी भी तरह समय निकालकर आएगा । बहन ने राखी खरीद ली थी और उसे अपने भाई के लौटने का इंतजार था । ताकि वो उसके माथे पर तिलक लगाकर कलाई पर राखी सजा सके । लेकिन बहना का भाई आया तो जरुर लेकिन तन पर तिरंगा लपेटकर.

तिरंगे में लिपटा ये वो जांबाज युगल किशोर वर्मा है, जो छत्तीसगढ़ की माटी पर अपनी जान लुटाकर एक ऐसे सफर पर निकल गया है, जहां से कोई वापस नहीं लौटता। 25 सालों में कभी भी युगल किशोर की कलाई रक्षाबंधन पर सूनी नहीं रही। हर साल वो अपनी लाड़ली बहन फिंगेश्वरी से राखी बंधवाने आता था। लेकिन इस बार जब वो लौटा, तो ताबूत में बंद होकर। तिरंगे में लिपटकर।

दरअसल, बलौदाबाजार जिले के पलारी के पास कनकी गांव के युगल किशोर वर्मा राजनांदगांव जिले के बकरकट्टा थाने में सब इंस्पेक्टर थे। एक दिन पहले जंगल में नक्सलियों के होने की सूचना पर सर्चिंग अभियान में टीम के साथ निकले थे। जहां नक्सलियों से मुठभेड़ में उसने फर्ज पर अपनी जान कुर्बान कर दी। भाई का पार्थिव शरीर राखी के दिन बहन के पास पहुंचा। भाई की लाश से लिपटकर बिलखती बहन को देखकर हर किसी की आंख भर आई। वो बोल रही थी ‘भैया अगर तुमको इसी हाल में आना था, तो तू नहीं आता तो अच्छा था’ 

रोती-बिलखती बहन ने भाई की देह पर आखिरी बार राखी रखी और शुरू हुआ जांबाज जवान का आखिरी सफर। युगल की मौत पर उसका गांव ही नहीं, बल्कि आसमान भी रो रहा था। लोग कह रहे थे- ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, युगल तेरा नाम रहेगा’ शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। श्रद्धांजलि देने वालों में विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, धरसींवा विधायक देव जी भाई पटेल और पुलिस विभाग के अफसर भी बड़ी संख्या में शामिल थे।

पांच साल के बेटे आदि ने शहीद पिता की चिता को अग्नि दी। शहीद युगल किशोर का बड़ा भाई बीजापुर में सब इंस्पेक्टर है, वहीं उनकी बहन फिंगेश्वरी भी रेलवे पुलिस में ASI है। हर साल बहन से रेशम की डोर बंधवाकर रक्षा का वादा करने वाला भाई. सांसों की लड़ तोड़कर संसार के सारे बंधन तोड़कर चला गया है। राखी के दिन। राखी पर एक बहन के दर्द की ये आखिरी इंतहा है।