टेरर फंडिंग केस, पाकिस्तान के 100 से अधिक नंबरों पर होती थी बात, अहम जानकारियों भेजते थे तीनों

टेरर फंडिंग केस, पाकिस्तान के 100 से अधिक नंबरों पर होती थी बात, अहम जानकारियों भेजते थे तीनों

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  • Publish Date - August 25, 2019 / 02:45 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:35 PM IST

भोपाल। टेरर फंडिंग में गिरफ्तार तीन आरोपियों से पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए हैं। तीनों आरोपी पाकिस्तान के 100 से अधिक नंबरों पर बातचीत करते थे। पैसों के साथ कई महत्वपूर्ण जानकारियों पाकिस्तान को भेजा करते थे। छतरपुर और सीधे के 80 लोगों के खातों से लॉटरी के जरिए पैसे निकाले गए थे।

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बता दें एटीएस ने मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में ऑनलाइन ठगी के जरिए ‘टेरर फंडिंग” और जासूसी के मामले में तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। दो अन्य संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ चल रही है। इनके पास पाकिस्तान के कई नंबरों से संपर्क, डाटा ट्रांसफर और बड़ी धनराशि के लेनदेन का ब्योरा मिला है।

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सतना में गिरफ्तार हुए इन आरोपितों को मप्र एटीएस की टीम भोपाल लेकर आ गई है। इनकी भूमिका धोखाधड़ी के जरिए एकाउंट्स में आया पैसा आगे बढ़ाने और खातों में घुमाने का था जिसके एवज में इन्हें कमीशन मिल रहा था। गिरोह में शामिल अन्य कड़ियों की छानबीन हो रही है, एटीएस का कहना है कि ठगी का यह पैसा पाक हैंडलर्स व जासूसी पर खर्च हो रहा था। यह राशि कश्मीर, झारखंड, बिहार, और पश्चिम बंगाल के कई खातों में पहुंचाई गई। विंध्य अंचल के कई जिले एटीएस के रडार पर हैं।

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पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता आशुतोष प्रताप सिंह ने मीडिया को बताया कि पुलिस के रडार पर अन्य आरोपी भी हैं, उन पर निगरानी रखी जा रही है। इलाहाबाद, चित्रकूट, सतना और रीवा के कुछ लोग भी निगरानी में हैं। सतना पुलिस की गिरफ्त से सुनील सिंह, बलराम सिंह और शुभम मिश्रा को एटीएस की टीम भोपाल ले आई है। इन लोगों ने अपने कई साथियों के साथ मिलकर पाकिस्तानी एजेंटों को बैंक अकाउंट्स तथा एटीएम कार्ड की जानकारियां तथा धनराशि भेजी जो कि पहले भी योजनाबद्ध तरीके से जासूसी कर रहे थे।

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साथ ही युद्ध की स्थिति में सामरिक महत्व की जानकारियां एकत्रित कर रहे थे। पाकिस्तानी हैंडलरों से मिलकर ये लोग भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे। सीधे-साधे लोगों को फोन कॉल के जरिए ईनाम में बड़ी राशि खुलने का झांसा देकर राशि वसूलने वाले गिरोह से इनकी सांठगांठ सामने आई है। एटीएस मामले की अन्य कड़ियां खोलने में जुटी है।

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पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि आरोपी जिन लोगों के बैंक अकाउंट्स का उपयोग कर रहे थे, उन्हें इसके एवज में बतौर कमीशन आठ फीसदी राशि भी दे रहे थे। इनके पास से पुलिस को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम कर रहे हैंडलरों के मोबाइल और फोन नंबर, लेपटॉप और अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं। 17 पाकिस्तानी नंबरों पर इनका संपर्क बार-बार हुआ। मप्र एटीएस इन जालसाजों की भूमिका टेरर फंडिंग के लिए फाइनेंशियल स्लीपर सेल के बतौर देख रही है। इन दिशा में छानबीन भी कर रही है।

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बलराम को एक महीने पहले पुलिस ने तार चोरी के मामले में भी गिरफ्तार किया था। बलराम, सुनील और शुभम के खिलाफ एटीएस ने 22 अगस्त 2019 को धारा 123 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है। उल्लेखनीय है कि 2017 में मप्र एटीएस ने बलराम सहित 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। ये सभी पाकिस्तानी हैंडलरों के इशारे पर फर्जी बैंक खाते खुलवाकर उनमें धनराशि प्राप्त कर रहे थे। बलराम इस मामले में वह जमानत पर है।

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