(Calcutta Stock Exchange, Image Credit: x.com)
Calcutta Stock Exchange: देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंजों में से एक कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज (CSE) इस साल 20 अक्टूबर 2025 को अपनी अंतिम ‘काली पूजा’ और ‘दिवाली’ मनाने की तैयारी कर रहा है। 1908 में स्थापित यह एक्सचेंज कोलकाता की वित्तीय पहचान का प्रतीक रहा है, लेकिन अब यह स्वैच्छिक रूप से अपने कारोबार से बाहर निकलने की प्रक्रिया में है।
अप्रैल 2013 में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने नियामकीय नियमों का पालन न करने की वजह से कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज (CSE) में ट्रेडिंग को निलंबित कर दिया था। इसके बाद एक्सचेंज ने सेबी के फैसले के विरूद्ध कानूनी लड़ाई लड़ी, लेकिन एक दशक की कोशिशों के बाद अब उसने कारोबार से पूरी तरह बाहर निकलने और स्टॉक एक्सचेंज लाइसेंस को स्वेच्छा से वापस करने का निर्णय लिया है।
वहीं, 25 अप्रैल 2025 को बुलाई गई असाधारण आमसभा में शेयरधारकों ने भी इस फैसले को मंजूरी दे दी। इसके बाद CSE ने सेबी के पास औपचारिक रूप से आवेदन दाखिल कर दिया। सेबी ने एक्सचेंज की संपत्तियों और वैल्यूएशन की प्रक्रिया के लिए ‘राजवंशी एंड एसोसिएट्स’ को नियुक्त किया है। यह अंतिम अनुमोदन से पहले का चरण है।
कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज की ईएम बाईपास स्थित तीन एकड़ जमीन को 253 करोड़ रुपये में सृजन समूह को बेचने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई है। इसके अतिरिक्त कर्मचारियों के लिए 20.95 करोड़ रुपये की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) लागू की गई है, जिससे सालाना लगभग 10 करोड़ रुपये की बचत होगी।
सेबी से स्वीकृति मिलने के बाद कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज (CSE) एक होल्डिंग कंपनी के रूप में कार्य करेगा। इसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी CSE कैपिटल मार्केट्स प्राइवेट लिमिटेड (CCMPL) एनएसई और बीएसई के सदस्य के रूप में ब्रोकिंग सेवाएं जारी रखेगी।
कभी बीएसई को कड़ी टक्कर देने वाला कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज (CSE) अब केवल इतिहास का हिस्सा बनने जा रहा है। 1990 के दशक में सक्रिय रहे ब्रोकर्स इस दिवाली को एक भावनात्मक विदाई मान रहे हैं। एक समय में 1,749 लिस्टेड कंपनियां और 650 रजिस्टर्ड ट्रेडिंग सदस्य रखने वाला यह एक्सचेंज भारत के पूंजी बाजार का एक बड़ा स्तंभ रहा।