Mauganj News: मऊगंज में शिक्षा विभाग का 35 लाख का आरओ घोटाला! बिना बिजली वाले स्कूलों में कागज़ों पर लगे आरओ, फर्जी बिलों से भरा खजाना और भ्रष्ट अफसरों को पदोन्नति

मध्यप्रदेश के मऊगंज जिले से शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही और भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है।

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  • Publish Date - October 23, 2025 / 08:56 PM IST,
    Updated On - October 23, 2025 / 08:56 PM IST

mauganj news/ image source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • मऊगंज जिले के नईगढ़ी और हनुमना शिक्षा केंद्र में ₹35 लाख से अधिक का आरओ घोटाला उजागर।
  • ₹3,500 के आरओ को ₹15,941 में दिखाकर फर्जी भुगतान किया गया।
  • 600 से ज्यादा स्कूलों में बिजली नहीं, फिर भी कागज़ों में आरओ लगाए जाने का दावा।

Mauganj News: मऊगंज: मध्यप्रदेश के मऊगंज जिले से शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही और भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। जिले के नईगढ़ी और हनुमना जनपद शिक्षा केंद्र में आरओ (RO) घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें करीब 35 लाख रुपये से अधिक की सरकारी राशि कागज़ों पर ही खर्च दिखा दी गई। स्कूलों में शुद्ध पेयजल के नाम पर आरओ लगाए जाने का दावा किया गया, लेकिन हकीकत यह है कि ज़्यादातर विद्यालयों में आज तक न बिजली है, न ही कोई आरओ मशीन।

600 से अधिक स्कूलों में बिजली नहीं

Mauganj News: जानकारी के अनुसार, जिले के 600 से अधिक स्कूलों में बिजली का कनेक्शन तक नहीं है। बावजूद इसके, शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कागज़ों में यह दर्शा दिया कि इन स्कूलों में 15,941 रुपये कीमत के आरओ लगाए जा चुके हैं।

कागज़ों पर खेला गया करोड़ों का खेल

Mauganj News: सूत्रों के मुताबिक, ब्लॉक स्रोत समन्वयकों ने सप्लायरों के साथ मिलकर फर्जी बिल और वाउचर तैयार किए। ₹3,500 रुपये की कीमत वाले आरओ को ₹15,941 में दिखाया गया और भुगतान करा लिया गया। इतना ही नहीं, कई मामलों में तो खाली फॉर्म पर हस्ताक्षर करवाकर बाद में मनमाने आंकड़े भरे गए। यानी सरकारी खजाने को चूसने की यह साजिश बेहद संगठित तरीके से रची गई, जहां जमीन पर कोई काम नहीं हुआ लेकिन कागज़ों पर सबकुछ पूरा दिखा दिया गया।

स्कूलों में आरओ का कोई नामोनिशान नहीं

हनुमना जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाले माध्यमिक विद्यालय देवरा हरिजन बस्ती और बघेला स्कूल में जब जांच की गई तो वहां कोई आरओ मिला ही नहीं। जब शिक्षकों से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने साफ कहा, हमारे स्कूल में आज तक कोई आरओ नहीं लगा। वहीं, दूसरी तरफ विभागीय रिकॉर्ड में इन स्कूलों में आरओ लगाए जाने का उल्लेख मौजूद है और भुगतान भी किया जा चुका है।

भ्रष्टाचार पर इनाम, कार्रवाई शून्य

Mauganj News: सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इतने बड़े घोटाले के बावजूद किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा, जिनके खिलाफ आरोप लगे, उन्हें पदोन्नति देकर खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) बना दिया गया। यहां तक कि जब यह मामला विधानसभा में उठा, तब भी विभाग ने गलत जानकारी देकर शिकायत को दबा दिया।

रिश्तेदारी और नियमों की अनदेखी

Mauganj News: इस घोटाले की जड़ में रिश्तेदारी और संरक्षण का नेटवर्क भी शामिल बताया जा रहा है। हनुमना बीआरसी पद पर एक अपात्र व्यक्ति को नियमों के विरुद्ध बैठाया गया है। सूत्रों के अनुसार, उसने विकलांगता प्रमाणपत्र के सहारे नौकरी प्राप्त की, जबकि इस पद के लिए अधिकतम आयु सीमा 56 वर्ष तय है। इसके अलावा, उसकी रिश्तेदार सुनैना त्रिपाठी, जो कस्तूरबा गांधी छात्रावास में अधीक्षक पद पर कार्यरत हैं, तीन वर्ष की सीमा पार करने के बावजूद अब तक वहीं पदस्थ हैं।

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मऊगंज आरओ घोटाला क्या है?

यह घोटाला शिक्षा विभाग में हुआ, जहां स्कूलों में आरओ लगवाने के नाम पर ₹35 लाख से अधिक की सरकारी राशि कागज़ों पर खर्च दिखाई गई, जबकि अधिकांश स्कूलों में आरओ लगाए ही नहीं गए।

कितने स्कूलों में फर्जी आरओ दिखाए गए?

करीब 600 से अधिक स्कूलों में आरओ लगाए जाने का दावा किया गया, जिनमें से अधिकतर में बिजली कनेक्शन तक नहीं है।

आरओ की असली और फर्जी कीमत में क्या फर्क था?

असल में ₹3,500 के आरओ को विभाग ने ₹15,941 की कीमत पर दिखाया, जिससे सरकारी धन की बड़ी लूट हुई।