CM Yogi's big statement, image source: ANI
लखनऊ: CM Yogi’s big statement , उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राजनीति उनके लिए ‘फुल टाइम जॉब’ नहीं है और वह दिल से योगी हैं। योगी आदित्यनाथ ने लोगों के एक वर्ग द्वारा उन्हें भारत के भावी प्रधानमंत्री के तौर पर देखे जाने के सवाल पर सीधी प्रतिक्रिया देने से बचते हुए यह जवाब दिया।
आदित्यनाथ ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार के दौरान उनके और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के केंद्रीय नेताओं के बीच मतभेद की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि वह पार्टी की वजह से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय नेताओं के साथ मतभेद करके क्या मैं यहां पर बैठा रह सकता हूं?’’ उन्होंने यह भी कहा कि बोलने के लिए कोई कुछ भी बोल सकता है किसी का मुंह बंद थोड़े ही कर सकते हैं।
CM Yogi’s big statement राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा उनको समर्थन दिए जाने के संबंध में पूछे गए प्रश्न पर, आदित्यनाथ ने कहा कि जो भारत के प्रति निष्ठावान होगा, आरएसएस उसको पसंद करेगा, जो भारत के लिए निष्ठावान नहीं होगा, आरएसएस उसको रास्ते पर लाने के लिए, सन्मार्ग पर लाने के लिए प्रेरणा ही दे सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका प्राथमिक काम उत्तर प्रदेश के लोगों की सेवा करना है जो उनकी पार्टी ने उन्हें सौंपा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं और पार्टी ने मुझे राज्य के लोगों की सेवा करने के लिए यहां रखा है।’’ आदित्यनाथ ने संभावित प्रधानमंत्री के रूप में उनके प्रति बढ़ते समर्थन के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘राजनीति मेरे लिए एक ‘फुल टाइम जॉब’ नहीं है। इस समय मैं यहां काम कर रहा हूं लेकिन वास्तविकता में मैं हूं तो एक योगी ही।’’
आदित्यनाथ ने अन्य राज्यों में भाजपा प्रचारक के रूप में अपनी लोकप्रियता के बारे में पूछे गए सवाल को भी अधिक तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि सभी मुख्यमंत्री पार्टी के चुनाव प्रचार का हिस्सा हैं। जोर दिए जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘हो सकता है कि उत्तर प्रदेश में 2017 से पहले जिन लोगों ने जो अनुभव किया होगा, इसके (2017 के) बाद उनको ज्यादा परिवर्तन नजर आ रहा होगा। इसको भी देखने के लिए एक उत्साह है क्योंकि उत्तर प्रदेश में देशभर के श्रद्धालु आते हैं, देशभर के नागरिक आते है। तो इस परिवर्तन के नाते भी बुलाते होंगे।’’
यह पूछे जाने पर कि उनकी राजनीति में कब तक बने रहने की योजना है, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इसकी भी एक समयसीमा होगी।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या उनके जवाब का मतलब यह है कि राजनीति उनके लिए ‘फुल टाइम जॉब’ नहीं है, आदित्यनाथ ने दोहराया, ‘‘हां मैं वही कह रहा हूं।’’
धर्म और राजनीति के संबंध में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करते हुए आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘हम धर्म के पक्ष को सीमित दायरे में कैद करके रखते हैं और राजनीति को भी हम चंद मुट्ठीभर लोगों की कैद में रखते हैं। सारी समस्या वहीं से खड़ी होती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राजनीति अगर स्वार्थ के लिए है तो वह समस्या पैदा करेगी। राजनीति अगर परमार्थ के लिए है तो वह समाधान देगी। हमें तय करना होगा कि हमें समाधान का रास्ता अपनाना है या समस्या का रास्ता अपनाना है और मुझे लगता है कि धर्म भी यही (सिखाता) है।’’
CM Yogi’s big statement आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘धर्म जब स्वार्थ के लिए होता है, आत्मकल्याण के लिए होता है तो वह नयी-नयी चुनौतियां देगा, नयी-नयी समस्याएं देगा और जब व्यक्ति परमार्थ के लिए अपने आप को होम करता है, अपने आप को समर्पित करता है तो वह नए-नए रास्ते दिखाएगा, प्रगति के नए-नए रास्ते सुझाएगा।’’ आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय परंपरा धर्म को स्वार्थ से नहीं जोड़ती।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत की परंपरा में भारतीय मनीषा ने धर्म को स्वार्थ के साथ नहीं जोड़ा है। उसके दो हित बताए गए हैं कि सांसारिक जीवन में उत्कर्ष का मार्ग प्रशस्त करना, विकास के मार्ग को प्राथमिकता देना और इस लौकिक जीवन में एवं पारलौकिक जीवन के लिए मोक्ष की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ना। तो यहां दोनों का उद्देश्य ही सेवा है। मुझे लगता है कि राजनीति मात्र एक मंच है और इस सेवा भाव को आगे बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में इसका उपयोग किया जा रहा है।’’
यह पूछे जाने पर कि वह खुद को धार्मिक व्यक्ति मानते है या राजनेता, आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘मैं एक नागरिक के रूप में काम करता हूं और अपने को विशेष नहीं मानता। एक नागरिक के रूप में अपने संवैधानिक दायित्वों का पालन करते हुए मेरे लिए देश सर्वोपरि है और देश अगर सुरक्षित है तो मेरा धर्म भी सुरक्षित है। धर्म सुरक्षित है तो कल्याण का मार्ग अपने आप प्रशस्त होता है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि वह 100 साल बाद के लिए अपनी कोई विरासत छोड़ कर जाएंगे आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘…नाम नहीं, हमारे काम आने वाली पीढ़ी के लिए स्मरणीय होंगे। किसी की पहचान उसके काम से होनी चाहिए, नाम से नहीं।’’